वासुदेव बलवंत फड़के पर 10 पंक्तियाँ : Vasudev Balwant Phadke

Vasudev Balwant Phadke : वासुदेव बलवंत फड़के नौकरी करते थें और वह एक आम आदमी की तरह सामान्य जिंदगी जी रहे थे लेकिन एक घटना ने सब कुछ बदल कर रख दिया।

दरसल वासुदेव बलवंत फड़के तार लेकर अंग्रेज अधिकारी के पास अवकाश का प्रार्थना पत्र देने के लिए गए, किंतु अंग्रेजों ने उन्हें अवकाश नहीं दिया। वासुदेव बलवंत फड़के दूसरे दिन अपने गांव चले आए।

जब उन्होंने देखा कि उनकी माता का स्वर्गवास हो चुका है और वह अपनी माता का आखरी दर्शन नहीं कर पाए तो इस बात से दुखित होकर उन्होंने नौकरी छोड़ दी और अंग्रेजों के विरुद्ध क्रांति की तैयारी करने लगे।

  • बासुदेव बलवंत फड़के ने 1857 की क्रांति के असफलता के बाद देश में आजादी की चिंगारी जलने वाले क्रांतिकारी में से एक हैं।
  • फड़के का जन्म 4 नवंबर 1845 ईस्वी को महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के शिरढोणे नामक गांव में हुआ था।
  • वासुदेव बलवंत फड़के ने फरवरी 1879 में अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह की घोषणा कर दी। इसके लिए धन संग्रह करने के उद्देश्य से धनीको के यहां डाका भी डाले।
  • महाराष्ट्र में घूम घूम कर नवयुवकों से विचार विमर्श किया और उन्हें संगठित करने का प्रयास किया।
  • महाराष्ट्र के लगभग सात जिलों में वासुदेव बलवंत फड़के की सेवा का प्रभाव जबरदस्त तरीके से फैल चुका था।
  • वासुदेव बलवंत फड़के को नियंत्रित करने के उद्देश्य से अंग्रेज विश्रम बाग में बैठक कर रहा था लेकिन फड़के ने अपने साथियों के साथ 13 में 1879 को रात 12:00 बजे वहां पहुंच गए और अंग्रेजों को मारा तथा भवन को आग लगा दी।
  • इस घटना के बाद वासुदेव बलवंत फड़के को जिंदा या मुर्दा पकड़ने पर अंग्रेजों ने ₹50000 का इनाम घोषित किया।
  • वासुदेव बलवंत फड़के ने भी अंग्रेजी अफसर रिचर्ड के सिर के ऊपर 75000 का इनाम घोषित कर दिया इस अंग्रेज और बौखला गया।
  • वासुदेव बलवंत फड़के बीमारी के हालात में एक मंदिर में विश्व राम कर रहे थे, तभी 20 जुलाई 1879 को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। और उन पर मुकदमा चलाकर कला पानी की सजा दी गई।
  • करवास में अंग्रेजों द्वारा कड़ी यातनाए दी गई, इसके फलस्वरुप 17 फरवरी 1883 ईस्वी को वासुदेव बलवंत फड़के शहीद हो गए।

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