स्वामी विवेकानंद पर 10 पंक्तियाँ : Swami Vivekanand

Swami Vivekanand : स्वामी विवेकानंद वेदांत के विख्यात आध्यात्मिक गुरु थे उनके विचार और दिया गया उपदेश आज भी लोगों को आच्छे से याद है। स्वामी विवेकानंद जी द्वारा शिकागो में दिया गया भाषण। इस भाषण में उनका पहला वाक्य था मेरे अमेरिकी भाइयों एवं बहनों। इस शब्द में सभा में उपस्थित सभी लोगों का ध्यान अपनी और आकर्षित किया।

स्वामी विवेकानंद जी कर्म पर विश्वास करते थे। उनका कहना था कि “उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक की लक्ष्य प्राप्त न हो जाए”।

  • स्वामी विवेकानंद जी का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में पिता का नाम विश्वनाथ दत्त तथा माता भुवनेश्वरी देवी के घर हुआ।
  • विवेकानंद के पिता का नाम विश्वनाथ दत्त जो कोलकत्ता के उच्च न्यायलय में वकील थे वहीँ माता भुवनेश्वरी देवी धार्मिक विचारों वाली महिला थी।
  • भुवनेश्वरी देवी का धार्मिक विचारों के कारण उनके घर अक्सर पूजा-पाठ व साधू संतों का आना जाना लगा रहता था जिससे विवेकानंद अध्यात्म की और आकर्षित हुए।
  • स्वामी विवेकानंद के बचपन का नाम नरेंद्र नाथ दत्त था।
  • विवेकानंद का कहना था “उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए” उनका यह प्रसिद्ध कथन था।
  • स्वामी विवेकानंद जी ने पैदल ही संपूर्ण भारत की यात्रा की और सनातन धर्म के प्रचार प्रसार के लिए अपना पूरा जीवन व्यतीत कर दिया।
  • स्वामी विवेकानंद ने अपने गुरु राम कृष्ण जी के संदेशों को आम जनता तक पहुंचाने के उद्देश्य से रामकृष्ण मिशन की शुरुआत की। रामकृष्ण परमहंस के नाम पर ही इस मठ का नाम रामकृष्ण मिशन रखा।
  • मात्र 30 वर्ष की आयु में ही स्वामी विवेकानंद जी ने अमेरिका के शिकागो में 1893 में आयोजित विश्व धर्म सम्मेलन में हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व कर उसे सार्वभौमिक पहचान दिलवाई।
  • विवेकानंद के गुरु रामकृष्ण परमहंस ने स्वामी विवेकानंद को दीक्षा दी और उनका नाम नरेंद्र नाथ दत्त की वजह स्वामी विवेकानंद रखा।
  • स्वामी विवेकानंद जी का ने 4 जुलाई 1902 को मात्र 39 वर्ष की आयु में ही स्वर्गवास हो गया।

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