Alluri sitaram raju : भारतीय जनजाति पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आदिवासी लोग अंग्रेजों के विरुद्ध एकजुट नहीं थे। जिसे अंग्रेजों ने पूरा लाभ उठाया और गरीब व आशिक्षित आदिवासीयों का खुले आम तौर पर शोषण और दमन किया।
सीताराम राजू ने भारतीय जनजाति लोगों से मिले और उन्हें भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ते हैं तो प्रेरित किया साथ ही उन्हें गोरिल्ला युद्ध की तकनीक भी सिखाई।
अल्लूरी सीताराम राजू पर 10 पंक्तियाँ
- सीताराम राजू का जन्म 4 जुलाई 1897 को आंध्र प्रदेश में हुआ था।
- श्री अल्लूरी सीताराम राजू एक वीर भारतीय क्रांतिकारी थे जिन्होंने अपना जीवन देश को समर्पित कर दिया।
- जब श्री अल्लूरी सीताराम राजू काकीनाडा के में स्कूल में पढ़ रहे थे तब उनकी मुलाकात एक प्रसिद्ध क्रांतिकारी राल्लापल्ली अचुता रामय्या और एक प्रसिद्ध मुक्ति योद्धा श्री मद्दूरी अन्नपूर्णा से हुई।
- वह उसे समय के भारत के राजनीतिक माहौल के बारे में जानने के लिए अधिक जानने के लिए उत्सुक रहते थे।
- 1857 में आजादी की पहली लड़ाई में असंख्य गोंड आदिवासी सदस्यों ने अपने राष्ट्र की रक्षा के लिए जान दे दी।
- भारत की स्वतंत्रता हेतु सीताराम राजू ने आदिवासियों से मिलकर एकजुट किया और उन्हें गोरिल्ला युद्ध की तकनीक भी सिखाई।
- वर्तमान आंध्र प्रदेश में जन्मे सीताराम राजू ने बस 1882 में मद्रास वन अधिनियम के खिलाफ ब्रिटिश विरोधी गतिविधियों में शामिल हो गए।
- अंग्रेजों के प्रति बढ़ते असंतोष ने 1922 में रंपा विद्रोह को जन्म दिया जिसमें अल्लूरी सीताराम राजू ने एक नेतृत्वकर्ता के रूप में प्रमुख भूमिका निभाई।
- स्थानीय ग्रामीणों द्वारा उनके वीरता पूर्वक कारनामों के लिए उन्हें जंगल का नायक उपनाम दिया।
- वर्ष 1924 में अल्लूरी सीताराम राजू को पुलिस विरासत में ले लिया गया एक पेड़ से बांधकर सार्वजनिक रूप से गोली मार दी गई।
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