kalpana Dutt : भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम महिला सिपाही में से एक कल्पना दत्त ने का जन्म्म 27 सितंबर 1913 को चटगाँव में वृष्णभानु कुमार व जानकी देवी के घर हुआ था।
कल्पना दत्त पर 10 पंक्तियाँ
- कल्पना दत्त का जन्म 27 जुलाई 1913 को चटगांव में एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था।
- प्रसिद्ध क्रांतिकारी की जीवनियाँ पढ़कर प्रभावित हुई कल्पना ने क्रांतिकारी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए क्रांतिकारी, सूर्य सेन के दल से नाता जोड़ा।
- अपने महत्वपूर्ण योगदान के लिए सितंबर 1979 में कल्पना दत्त को पुणे में वीर महिला की उपाधि से सम्मानित किया गया
- चटगांव से ही उनकी आरंभिक शिक्षा व उच्च शिक्षा के लिए वह कोलकाता चली आई।
- 18 अप्रैल 1930 को चटगांव शास्त्रकर लूट के घटना होते हैं कल्पना दत्त कोलकाता से वापस चटगाँव चली गई और क्रांतिकारी सूर्य सेन के दल से संपर्क कर लिया
- कल्पना और उनके साथियों ने क्रांतिकारियों का मुकदमा सुनने वाली अदालत के भवन को और जेल की दीवार उड़ने की योजना बनाई लेकिन पुलिस को सूचना मिल जानने के कारण इस पर अमल नहीं हो सका।
- पुरुष बेस में घूमती कल्पना दत्त गिरफ्तार कर ली गई पर अभियोग सिद्ध न होने के कारण उन्हें छोड़ दिया गया किन्तु उनके घर पुलिस का पर बैठा दिया गया।
- कल्पना पुलिस को चकमा देकर घर से निकल गई। मई 1933 में कुछ समय तक पुलिस और क्रांतिकारियों के बीच सशस्त्र मुकाबला होने के बाद कल्पना दत्त भी गिरफ्तार हो गई।
- मुकदमा चला और फरवरी 1934 में सूर्य सेन तथा तारकेश्वर दस्ती कर को फांसी की और 21 वर्षीय कल्पना दत्त को आजीवन कारावास की सजा दी गई। किन्तु गाँधी और रविंद्र नाथ टैगोर के प्रयासों से जेल से बाहर आ गई।
- बाद में कम्युनिस्ट पार्टी में सम्मिलित हो गई और 1943 में उनका कम्युनिस्ट नेता पूरा दिन चंद्र जोशी से कल्पना का विवाह हो गया पश्चात् कल्पना दत्त बंगाल से दिल्ली आ गई और इंडो सोवियत संस्कृति समिति में काम करने लगी।
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