आदिलशाही वंश बीजापुर
बहमनी साम्रज्य के दौरान बीजापु के सुवेदार रहे “युफुफ़ खां ने 1489-90 ई० में स्वतंत्रता की घोषणा कर “आदिलशाही वंश” की स्थापना की, यह स्वयं …
इस सामान्य ज्ञान खंड में विविध विषयों जैसे विज्ञान, भूगोल, राजनीतिक विषय आदि के रोचक तथ्यों और महत्वपूर्ण घटनाओं की जानकारी दी गई है जो आपकी ज्ञान वृद्धि में सहायक होगी।
बहमनी साम्रज्य के दौरान बीजापु के सुवेदार रहे “युफुफ़ खां ने 1489-90 ई० में स्वतंत्रता की घोषणा कर “आदिलशाही वंश” की स्थापना की, यह स्वयं …
यह का चालुक्य का सोलंकी वंश था, इसे वंश को गुजरात या अन्हिलवाड के सोलंकी वंश के नाम से भी जाना जाता है क्योंकी प्राचीन …
Gurjar Pratihar Vansh : 5वीं शताब्दी के अंत और 6ठी शताब्दी के प्रारंभ में बर्बर हूणों के आक्रमण और आन्तरिक कलह के कारण गुप्त साम्राज्य …
मुख्य रूप से कल्हण की पुस्तक राजतरंगिणी के माध्यम से 800 से 1200 ई० तक के कश्मीर का इतिहास के बारे में जानकारी मिलती है। …
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री रहे चौधरी चरण सिंह की जयंती पर प्रतिवर्ष 23 दिसंबर को देश भर में “किसान दिवस” के रूप में मनाया जाता …
गुरु और शिष्य परम्परा पर आधारित “गुरु पूर्णिमा” का पर्व भारतीय संस्कृति में विशेष महत्त्व रखा है। यह पर्व हर साल आषाढ़ के महीने में …
बहमनी साम्राज्य चार प्रान्तों में विभाजित हुआ करता था, जिसे बेहतर शासन प्रशासन के चलाया जाता था। साम्राज्य के प्रान्त को “तरफ” कहा जाता और …
मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल के अंतिम दिनों में दक्षिण भारत के आमीर-ए-सादा के विद्रोह के कारण बहमनी साम्राज्य की स्थापन हुई। “इस्माइल मख नासिरुद्दीन …
बहमनी साम्राज्य से अलग होने के बाद गोलकुंडा पर 1512 ई० में “कुलीशाह” ने “कुतुब शाही वंश” की स्थापना किया। कुतुब शाही वंश यह पूर्व …
बहमनी साम्राज्य से अलग होने के बाद 1490 ई० में “मलिक अहमद” ने अहमदनगर पर “निजामशाही वंश” की नींव रखी। निजामशाही वंश 1490 ई० में …