निजामशाही वंश का इतिहास

बहमनी साम्राज्य से अलग होने के बाद 1490 ई० में “मलिक अहमद” ने अहमदनगर पर “निजामशाही वंश” की नींव रखी।

निजामशाही वंश

1490 ई० में ही मलिक अहमद ने “अहमदनगर” शहर की स्थापना किया और अपनी राजधानी “जुन्नैर” से “अहमदनगर” स्थानांतरित कर लिया।

मलिक अहमद के पिता “निजामुलमुल्क” पहले हिन्दू थे जिन्होंने बाद में इस्लाम धर्म को स्वीकार किया।

बुरहान निजामशाह

अहमदनगर के शासकों में यह पहला शासकक था जिसने “निजामशाह” की उपाधि धारण किया। मुकम्मल खां इसका प्रधानमंत्री हुआ करता था।

हुसैन निजाम शाह

1562 ई० में बीजापुर के आदिलशाह तथा गोलकुंडा के कुतुबशाह ने, विजयनगर शासक रामराय के नेतृत्व में अहमदनगर पर आक्रमण कर अहमदनगर को लुटा।

मुर्तजा निजाम शाह

इसके शासनकाल में मुगलों ने अहमदनगर पर आक्रमण किया। 1574 ई० में मुर्तजा ने बरार को जीत कर अहमदनगर में मिला लिया।

बुरहान निजाम शाह द्वितीय (बुरहान उल मुल्क)

इसके मृत्यु के बाद अहमदनगर दरबार में चाँद बीबी और मियाँ मंझू के गुट में टकराव हुआ। इस टकराव में मियाँ मंझू ने जहाँगीर से सहायता माँगी। वहीँ चाँद बीबी बुरहान उल मुल्क के पुत्र को अपने पक्ष में करने में सफल रहा।

इसे भी पढ़े – गुलाम वंश

चाँद बीबी और मुगलों के बीच चले इस संघर्ष में कोई एकतरफा परिणाम नहीं निकला वल्कि एक समझौते से साथ समाप्त हो गया। इस समझौते के तहत बरार का क्षेत्र मुगलों को सौपना पड़ा बदले में मुगलों ने बहादुर के राजगद्दी के दावे को मान्यता दी।

विरोधी गुट ने 1599 ई० में चाँद बीबी की हत्या कर दी और मुगलों ने बहादुर को बंदी बनाकर ग्वालियर भेज दिया।

मुर्तजा निजामशाह द्वितीय

बहादुर निजामशाह को बंधन बनाए जाने के बाद “मुर्तजा निजामशाह द्वितीय” इस शर्त पर शासक बना की वह अहमदनगर, बालाघाट और दौलताबाद के कुछ हिस्से मुग़ल को दे देगा और वह मुगलों के प्रति वफादार रहेगा।

मलिक अम्बर

इसने मुर्तजा द्वितीय को सुल्तान घोषित कर मुगलों के विरुद्ध अहमदनगर की कमान संभाली। इसने छापामार नीति को अपनाकर मुगलों को बहुत हानि पहुँचाया।

 “दक्षिण का टोडरमल” कहे जाने वाले मलिक अम्बर ने भूमि व्यवस्था के आधार पर रैयतबाडी (जाब्ती) व्यवस्था को लागू किया और भूमि को ठेके देने की प्रथा को समाप्त कर दिया।

वर्गी गिरी (गुरिल्ला) युद्ध के जनक मलिक अम्बर की 1626 ई० में मृत्यु हो गया। इसके बाद मुग़ल शासक शाहजहाँ ने अहमदनगर को अपने साम्राज्य में मिला लिया।

FAQ Section :

अहमदनगर के निजाम शाही वंश का अंत कैसे हुआ?

मुगलों ने अहमदनगर के अंतिम शासक हुसैन शाह को आजीवन कारावास में डाल दिया और पुरे अहमदनगर साम्राज्य को मुग़ल साम्राज्य में मिला लिया।

निजामशाही का अंत कब हुआ?

1631 में मुगलों के साथ हुए युद्ध में मलिक अहमद मुग़ल से पराजित हो गया उसके बाद मुग़ल सेना ने सभी परिवारों की हत्या कर दी। और सभी क्षेत्रों को मुग़ल साम्राज्य में मिला लिया।

निजाम शाही वंश की स्थापना किसने की?

1490 ई० में ही मलिक अहमद ने “अहमदनगर” शहर की स्थापना किया और अपनी राजधानी “जुन्नैर” से “अहमदनगर” स्थानांतरित कर लिया।

Leave a Comment