वी. के. कृष्ण मेनन | V. K. Krishna Menon Biography in hndi

वी. के. कृष्ण मेनन: 1957 ई० से 1962 ई० तक भारत के रक्षा मंत्री रहे v. k. krishna menon भारतीय राजनीति के महत्वपूर्ण नेताओं में से एक थें|

टाइम मैगनीज पत्रिका के अनुसार भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के बाद वे भारत के सबसे प्रभावशाली व्यक्ति थे|

जन्म3 मई 1896 ई०
जन्म स्थलकालीकट (मद्रास प्रेसिडेंसी)
पिताकोमाथु कृष्ण
कार्यकूटनीतिज्ञ, राजनेता
मृत्यु6 अक्टूबर 1974 ई० (दिल्ली)

वी. के. मेनन इंग्लैंड में एक पत्रकार और ‘इंडिया लीग के सचिव के रूप में कार्य कर रहे थें, यह संस्था इंग्लैंड में वहाँ भारतीय कांग्रेस के प्रतिनिधित के रूप में काम करती थी|

इसी संस्था के जरीय वी. के. मेनन और जवाहरलाल नेहरु नजदीक आए| देश के आजादी के बाद नेहरु भारत के प्रधानमंत्री बनें तो वी. के. मेनन को इंग्लैंड में भारत का हाई कमिश्नर नियुक्त किया जिस पद पर वी. के. मेनन 1947 ई० से 1952 ई० तक रहें|

1957 ई० को वी.के. मेनन को भारत के रक्षामंत्री बने लेकिन रक्षा सौदे से जुड़े विवाद और फिर 1962 ई० में हुए भारत चीन युद्ध के बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा|

आरंभिक जीवन (v. k. krishna menon)

  • वी. के. कृष्ण मेनन का जन्म 3 मई 1896 ई० को (वेंगालिल परिवार) ब्रिटिश भारत के दौरन मद्रास प्रेसिडेंसी में हुआ था आज के समय में यह स्थल केरल के कोजीकोड (कालीकट) में स्थित है| इनका जन्म वेंगालिल परिवार के अमीर घराने में हुआ था इनके पिता कोमाथु कृष्ण एक प्रभावशाली वकील थे|
  • इनकी प्रारंभिक शिक्षा कोजीकोड (कालीकट) के जमोरिन कॉलेज से शुरू हुआ सन् 1918 ई० में मद्रास प्रेसिडेंसी से इतिहास एवं अर्थशास्त्र से बी. ए. की परीक्षा पास किया|
  • मद्रास लॉ कॉलेज में पढाई के दौरान ही थिओसोफी के कार्यों से जुड़े और फिर ऐनी बेसेंट के ‘होमरूल आन्दोलन’ से| ऐनी बेसेंट द्वारा स्थापित ‘ब्रदर्स ऑफ़ सर्विस’ के अग्रणी संदस्यों में से एक रहे वी. के. मेनन के कार्यों से प्रभावित होकर ऐनी बेसेंट उन्हें इंग्लैंड जाने (1924 ई०) में मदद किया|

इंग्लैंड में पढाई

  • आगे की पढाई के लिए वी. के मेनन ने पहले ‘यूनिवर्सिटी कॉलेज लन्दन’ दाखिला लिया जहाँ से उन्होंने 1930 ई० में मनोविज्ञान विषय में एम. ए. की परीक्षा पास किया| उसके बाद फिर ‘लन्दन स्कुल ऑफ़ इकोनॉमिक्स’ में दाखिला लिया, जहाँ से उन्होंने 1934 ई० में एम. एस. सी. की परीक्षा पास किया| साथ-साथ ही कानून की भी पढाई जारी रखी| इस प्रकार 37 साल की आयु में उनके विद्यार्थी जीवन का अंत हुआ| अरुण खेत्रपाल का जीवन परिचय
  • विद्यार्थी जीवन के दौरान भी v. k. krishna menon पेंगुइन बुक्स, बोडले हेड, ट्वेंटिऐट सेंचुरी जैसे प्रकाशनों में संपादक के रूप में भी कार्य किया|

राजनितिक जीवन का शुरुआत

  • इंग्लैंड में प्रवास के दौरान ही उनका झुकाव इंग्लैंड के लेबर पार्टी की होने लगा और वो लेबर पार्टी में शामिल हो गए| बाद में उनसे सेंट पैक्रास (लन्दन) से नगर पार्षद चुना गया| उनके कार्य के प्रति समर्पण के कारण उन्हें ‘फ्रीडम ऑफ़ बरो’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया|
  • कहा जाता है की लेबर पार्टी वी. के. मेनन को डंडी संसदीय क्षेत्र से अपना उम्मेदवार बनाना चाहता था लेकिन मेनन का संबंध कम्युनिस्ट पार्टी होने के कारण यह संभव नहीं हो सका|

इंडिया लीग

  • इंग्लैंड प्रवास के दौरान वी. के. मेनन ना केवल पढाई किये वल्कि भारत के स्वतंत्रता प्रयासों से भी जुड़े रहें| सन् 1929 ई० से 1947 ई० तक ‘इंडिया लीग’ के सचिव के रूप में कार्य किया| इस संस्था के माध्यम से ही वी. के. कृष्ण मेनन जवाहरलाल के नजदीक आये|
  • सचिव के पद पर रहते हुए उन्होंने इंग्लैंड में भारत की स्वतंत्रता के पक्ष के माहौल बनाने का प्रयास किया|

भारत में राजनितिक जीवन

  • भारत के आजाद (1947 ई०) के बाद जवाहरलाल नेहरु वी. के. मेनन को इंग्लैंड में बहरत का उच्चायुक्त नियुक्त किया इस पद पर 1952 ई० तक रहें|
  • इसी कार्यकाल के दौरान 1948 ई० में सैन्य जीपों की खरीद को लेकर घोटाले का आरोप लगा किन्तु सरकार ने इस घोटाले के जाँच को 1955 ई० बंद कर दी| करतार सिंह सराभा का जीवन परिचय
  • वी. के. मेनन को 1952 ई० में संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत के प्रतिनिधि बनाए गया, मेनन ने संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत का प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया इस मंच से उन्होंने अमेरिकी नीतियों की घोर आलोचना किया और गुटनिरपेक्ष नीति को अपनाने पर बल दिया|
  • v. k. krishna menon 1953 ई० में पहलीबार राज्य सभा के सदस्य के रूप में मनोनीत किया गया और 1956 ई० में उन्हें बिना किसी विभाग के मंत्री के रूप में केन्द्रीय मंत्रीमंडल में शामिल किया गया|
  • 1957 ई० में मेनन मुंबई से लोकसभा सदस्य चुने गए और उसी वर्ष उन्हें रक्षा मंत्री बनाया गया| लेकिन 1962 ई० में हुए भारत-चीन युद्ध के बाद उन्हें अपने पद से त्यागपत्र देना पड़ा|
  • 1967 ई० में हुए संसदीय चुनाव के मेनन की हार हुए पर 1969 ई० में वे मिदनापुर से पुनः निर्वाचित हुए| 1971 ई० में तिरुवंतपुरम से सांसद चुने गए| 6 अक्टूबर 1974 ई० को दिल्ली वी. के. मेनन का निधन हो गया|

पुरस्कार एवं सम्मान

  • उनके कार्य के प्रति समर्पण के कारण v. k. krishna menon को इंग्लैंड में उन्हें ‘फ्रीडम ऑफ़ बरो’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया|
  • 1954 ई० को वी. के. मेनन को भारत के दुसरे सर्वश्रेष्ठ नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया, यह पुरस्कार पाने वाले वह पहले व्यक्ति थें|

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