शक (shak), मध्य एशिया ने निवास करने वाली एक जनजाति थी जो कबीले के रूप में चारागाह की खोज करते-करते भारत आया। और भारत में शकों की पांच शाखाएँ स्थापित की, इनकी पहली शाखा अफानिस्तान, दूसरी पंजाब, तीसरी मथुरा, चौथी पक्षिमी भारत और पांचवां उपरी दक्कन था। इन सभी शाखाएँ ने भारत के अलग-अलग भागों में अपने प्रभुत्व को स्थापित करने का प्रयास किया।
शक (Shak)
इन पांच शाखाओं में सबसे महत्वपूर्ण शाखा था पक्षिम की शाखा। रुद्रदामन इसी शाखा से संबंधित था जो शकों का का सबसे प्रमुख और प्रतापी शासक हुआ। इसने ही सुदर्शन झील का जीर्णोद्धार करवाया जिसे मौर्य काल के दौराण सिंचाई के लिए निर्माण करवाया गया था।
गुजरात से चल रहे समुद्री व्यापार के कारण शकों के पक्षमी शाखा अधिक लाभ्वान्ति हुआ और भारी मात्रा में चाँदी के सिक्के जारी किए।
रुद्रदामन संस्कृत से सबसे अधिक प्रभावित था इसने ही सबसे पहले संस्कृत भाषा में अभिलेख जारी किया। जिसे गिरनार अभिलेख कहा जाता है। इस अभिलेख के माध्यम से मौर्य वंश के बारे में जनकारी मिलती है।
58 ईसा पूर्व में उज्जैन के एक स्थानीय राजा ने शको को पराजित किया इसी उपलक्ष्य में स्थानीय राजा ने विक्रमादित्य की उपाधि धारण की तब सेस विक्रमादित्य की उपाधि काफी लोकप्रिय बन गया। साथ ही इस विजय के उपलक्ष्य में विक्रम संवत् नामक कैलेण्डर को जारी किया।
शकों ने सातवाहन शासकों के साथ वैवाहिक संबंध स्थापित किया दरअसल सातवाहन शासक गौतमी पुत्र शातकर्णी ने शक शासक “नहपान” को युद्ध के हराया और उसका वध कर दिया। शकों के प्रतिवार होने की आशंका के कारण इसने अपने पुत्र वाशिष्ठी पुत्र पुलमावी का विवाह शक शासक रुद्रदामन के पुत्री से करवाना चाहा।
रुद्रदामन वाशिष्ठी पुत्र पुलमावी को पहले ही दोबार युद्धों में हरा चूका था इसलिए अपनी पुत्री का विवाह वाशिष्ठी पुत्र पुलमावी से ना करके, वाशिष्ठी पुत्र पुलमावी के भाई शिवश्री से किया।
इस प्रकार शकों ने वैवाहिक संबंध स्थापित किया हालाँकि रुद्रदामन के मृत्यु के बाद यज्ञ श्री शातकर्णी के क्षेत्रों को अपने राज्य क्षेत्र में मिला लिया।
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