संत तुकाराम : Sant Tukaram Maharaj

Tukaram : आज के दौर में भी समाज संत के रूप में एक ऐसे संत को खोजता है की जो लोभ, मोह, माया, कामना या हीनता आदि से परे हो संत तुकाराम उन्ही संतो में से एक थे।

Sant Tukaram (संत तुकाराम)

तुकोब के नाम से जाने जाने वाले संत तुकाराम, 17वीं शताब्दी में वारकरी सम्प्रदाय के एक सच्चे संत और कवि थे। इनको लेकर लोगों का मानना है की उनके जन्म 1608 ई. में महाराष्ट्र के पुणे जिले में देहू नामक स्थान पर हुआ था हालाँकि इनके जन्म को लेकर लोगों में आज भी मतभेद है।

विट्ठल स्वामी यानी भगवन विष्णु के परम भक्त संत तुकाराम जी शिवाजी के समकालीन संत थे उन्होंने शिवाजी के ही शासनकाल में महाराष्ट्र में भक्ति आन्दोलन की शुरुआत की।

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इन्होने भक्ति गीतों और कृतनों के माध्यम से समाज के लोगों को जागरूक करने का काम किया। साथ ही समाज के कुछ ऐसे रीतियों पर भी चोट किया और उसे चुनौती दी, जिस कारण तुकाराम को विद्रोही कवि के तौर पर जाना जाने लगा।

महाराष्ट्र में धर्म और जाति के नाम पर चल रहे भ्रष्टाचार का पुरजोर विरोध किया और यह विरोध ही आगे चलकर 19वीं शताब्दी में महाराष्ट्र में हुए पुनर्जागरण का कारण रहा।

यह एकनाथ, ज्ञानेश्वर और कबीर जैसे संतों की शिक्षा के काफी प्रभावित थे इनका कहना था की धर्म का पालन पाखंड का खंडन करने के लिए होता था।

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संत तुकाराम के भक्तिपदों के चार हजार से अधिक रचनाएँ मौजूद है, इन पदों को दिलीप चित्रे ने अंग्रेजी में अनुवाद किया, इस अनुवादक को साल 1904 ई. साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मनित किया गया।

समाज के लोग संत तुकाराम को एक गृहस्त संत के रूप में देखते थे क्योंकि यह आध्यात्मिकता के साथ-साथ सांसारिक विचारों पर भी खुलकर बातें किया करते थें। पुरुष व महिलाएँ दोनों इनके शिष्यों में शामिल थें।

निधन

वर्ष 1650 ई. में इनका निधन हुआ था हालाँकि इनके निधन को लेकर लोगों में आज भी मतभेद है कुछ लोगों का मनन है की उनका निधन 1639 ई. में हुआ था तो वहीँ कुछ लोगों का मानना है की उनका 1650 ई. में हुआ था।

इसके अलावे तुकाराम के निधन के तरीकों को लेकर भी लोगों में मतभेद है क्योंकि कुछ लोग मानते हैं की उन्होंने समाधि लिए थे तो वहीँ कुछ लोगों का कहना है की उनकी हत्या की गई थी।

निष्कर्ष

संत तुकाराम के जन्म और निधन को लेकर भले ही आज में मतभेद है किन्तु यह स्पस्ट है की तुकाराम (tukaram) के शिक्षाओं का महाराष्ट्र के समाज पर व्यापक परभाव था। इनके जीवन पर आधारित हिंदी, मराठी और तेलगु और कई अन्य भाषओं में फिल्मे बन चुकी है।

भारत सरकार ने साल 2002 में तुकाराम के सम्मान में 100 रुपये के चाँदी के सिक्के जारी किया।

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FAQ Section :

संत तुकाराम क्यों प्रसिद्ध हैं?

अभ्यंग कविता और कीर्तन के नाम से उल्लेखनीय गीतों के लिए वह प्रिसिद्ध है इसके अलावे उन्होंने अभाग कविता नामक साहित्य के एक मराठी शैली की रचना किये जिसमे आध्यात्मिक विषयों के साथ-साथ लोक कहानियों को सम्मलित किया गया है।

संत तुकाराम किसकी पूजा करते थें?

वह वारकरी सम्प्रदाय के एक हिन्दू, मराठी संत थें और वह पंढरपुर के भगवन ‘विठोवा’ का भक्त थें।

संत तुकाराम ने क्या सन्देश दिया?

उन्होंने इस बात पर बल दिया की सभी मनुष्य परमपिता परमेश्वर की संतान हैं और इस कारण सभी मनुष्य एक सामान है।

तुकाराम के समकालीन कौन थें?

17वीं सदी के हिन्दू कवि और महाराष्ट्र में भक्ति आन्दोलन के संत तुकाराम के समकालीन ‘शिवाजी’ थें।

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