राष्ट्रीय एकता पर निबंध (Rashtriya ekta par nibandh)

जिनको ना निज गौरव तथा निज देश का अभिमान है वह मनुज नहीं  पशु है और मृतक समान है।

राष्ट्रीय एकता (rashtriya ekta par nibandh)

राष्ट्रीय कवि मैथिलीशरण गुप्त की यह पंक्तियां प्रत्येक भारतीय को राष्ट्रीय भावना से वोट प्राप्त कर देती है। यह निर्विवाद है कि भारतवर्ष की एकता उसकी विविधताओं में छिपी हुई है।

इस कथन को इसलिए भी पूर्णतः शब्द ठहराया जा सकता है कि अपने देश की एकता जितनी प्रकट है उसकी विविधताएं भी उतनी ही प्रत्यक्ष है। जलवायु, रहन-सहन, वेशभूषा, खान-पान, बोलचाल आदि की विभिन्नता होने के बावजूद हमारी हमारी राष्ट्रीय एकता अखंडित है।

रामायण और महाभारत को लेकर भारत की प्रयास सभी भाषाओं के बीच अद्भुत इच्छा मिलती है। उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम चाहे जहां भी देखा जाए एक ही संस्कृति एक ही स्वभाव दृष्टिकोण तथा धार्मिक विश्वासों के लोग दिखाई देते हैं। मोबाइल पर निबंध

राष्ट्रीय एकता के लिए समय-समय पर अनेक प्रयास किए गए स्वतंत्रता संग्राम के समय से आज तक अनेक राष्ट्रीय नेताओं ने एकता के लिए अपने प्राणोंतक की बलि चढ़ा दी। वर्तमान में मुख्य रूप से देश की राष्ट्रीय एकता को विखंडित करने वाले निम्नलिखित कारण नजर आ रहे हैं।

  • जनता में संकीर्ण विचारधारा का बढ़ना
  • क्षेत्रीयता अथवा प्रांतीयता से मोहासक्त होना
  • भाषा भेद को हथियार बनाना
  • कुछ मौका प्रश्न लोगों द्वारा जाति, धर्म यदि को मुद्दा बनाकर वोट की राजनीति करना
  • राष्ट्रीय निष्ठा का नितांत अभाव होना

जब किसी देश में विघटन कार्य और विध्वंसक तत्वों को कठोरता से काबू में नहीं दिया जाता है तब देश छिन्न-भिन्न हो जाता है। विभिन्न वर्गों को एकता के सूत्र में बांधने के लिए है। भारत को धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र आत्मक धनराज घोषित किया गया है।

भारत में सभी धर्म के लोगों को भारतीय के रूप में आज पूरे अधिकार प्राप्त है और वे राष्ट्र के अभिन्न है।

अतः प्रत्येक नागरिक का यह पुनीत कर्तव्य है कि राष्ट्रीय एकता के लिए संकीर्ण विचारों को छोड़कर समूचे राष्ट्र के समृद्धि के लिए पर्यटन करें ताकि भारत फिर से विश्व का प्रदर्शन बन सके।

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