बेरोजगारी पर निबंध
बेरोजगारी : भूखा मनुष्य क्या पाप नहीं करता। धन से क्षीण मनुष्य दयनीय हो जाता है। उसे कर्तव्य और अकर्तव्य का विवेक नहीं होता। वही दशा आज के युग में […]
बेरोजगारी : भूखा मनुष्य क्या पाप नहीं करता। धन से क्षीण मनुष्य दयनीय हो जाता है। उसे कर्तव्य और अकर्तव्य का विवेक नहीं होता। वही दशा आज के युग में […]
निरंतर बढ़ती महंगाई ने आम आदमी को आज तबाह कर रखा है। समाज में एकदम नीचे तबके के लोग जो आर्थिक दृष्टि से बेहद कमजोर लोगों हैं का जीना दुश्वार […]
भारत में सभी ऋतुओं का दर्शन और अनुभव होता है, ऋतुराज वसंत की बात ही अलग है। वसंत ऋतु के विषय में विद्वानों का कहना है वसंत आता नहीं लाया […]
विज्ञान मानव की वैसे बौद्धिक क्षमता है जिसके सहारे वह प्रकृति के रहस्य का उद्वेदन करता है|विज्ञान मानव का वैसा सहचर है जो उसे सुख और सुविधा प्रदान करता है। […]
दुर्गा पूजा से हमें जीवन में उत्साह के साथ-साथ विशेष आनंद की प्राप्ति होती है। हमइनसे परस्पर प्रेम और भाईचारे की भावना ग्रहण कर अपने जीवन-रथ को प्रगति के पथ […]
पर्यावरण संरक्षण : पर्यावरण का शाब्दिक अर्थ है चारों युग का वातावरण जिसमें हम सब साथ लेते हैं इसके अंतर्गत वायु, जल, धरती, ध्वनि यदि संयुक्त पूरा प्राकृतिक वातावरण आता […]
एक सामाजिक कड़ी : समाचार पत्र वह मुद्रित पत्र होता है, जिसमें दुनिया भर की दैनिक घटने वाली जानकारियां छपती है। समाचार पत्र रूप में माध्यम से हम घर बैठे […]
पर्यटन का महत्व – एक शायरी लिखा है सैर कर दुनिया की गाफील जिंदगी फिर कहां? सचमुच में जिसने सैर नहीं की वह जीवन है का असली आनंद नहीं पा […]
शहरी जीवन से तात्पर उसे जीवन शैली से है जो जीवन की समस्या मूलभूत आवश्यकताओं को पूर्ण करने की क्षमता से युक्त है। आकर्षक एवं विलासता पूर्ण जिंदगी के प्रति […]
भ्रष्टाचार शब्द के योग में दो शब्द है भ्रष्ट और आचार, भ्रष्ट का अर्थ है बड़ा या बिगड़ा हुआ और अचार का अर्थ है आचरण, भ्रष्टाचार का शाब्दिक अर्थ हुआ […]