मौर्य कालीन शासन-प्रशासन : Maurya Prashasan

Maurya Prashasan : मौर्य साम्राज्य का विस्तार बड़े भू-भाग पर था पूर्व में बंगाल से लेकर पक्षिम में अफानिस्तान तथा ईरान तक उत्तर में जम्मू-कश्मीर से लेकर दक्षिण में कर्नाटक तक।

देश कई छोटे-छोटे को प्रान्तों (राज्य) में में विभाजित किया गया था, प्रान्तों को विषय में और विषय को ग्राम में विभाजित किया गया था। ग्राम सबसे प्रशासन की छोटी इकाई थी।

Maurya Prashasan

इसे राजा के द्वारा चलाया जाता था और राजा की सहायता के लिए मंत्री होते थे जिसे आमात्य कहा जाता था इसमें प्रधानमंत्री का पद सबसे प्रमुख होता था।

मंत्रियों के अलावे राजा की सहायता के लिए कुछ अधिकारी होते थे अधिकारों में उच्च वर्ग (वर्ण बाला नहीं) के अधिकारी को तीर्थ कहा जाता था। इसमें से कुछ महतवपूर्ण होता था जो इस प्रकार है।

मंत्री/अधिकारीकार्य
सेनापतिसैन्य विभाग का प्रमुख
समाहर्ताआय का संग्रहकर्ता
पुरोहितधर्म और दान विभाग का प्रमुख
सन्नीघाता राजकीय कोष का अध्यक्ष
प्रशास्ताकारागार का अध्यक्ष
नायकनगर रक्षा का अध्यक्ष
महामात्य सर्पगुप्तचर विभाग
पण्या अध्यक्षवाणिज्य विभग का प्रमुख

सैन्य विभाग

इस साम्रज्य के प्रशासन को चलाने के लिए सैनिक विभाग होता था जो सबसे महत्वपूर्ण है। इसके अधिकारी को सेनापति कहा जाता था।

जस्टिन के अनुसार मौर्य काल में चार प्रकार के सेना देखने को मिलता है जिसमे पैदल सेना, हाथी, घुड़सवार तथा रथ।

प्लीनी के अनुसार 6 लाख पैदल सेना, 30 हजार घुड़सवार, 9,000 तथा 8,000 रथ होता था जिसकी मदद से लगभग पुरे भारतवर्ष को जीत लिया था।

न्यायिक व्यवस्था

न्यायिक व्यवस्था के प्रमुख को व्यावाहारिक कहा जाता था।

कई क्षेत्रों में स्थानीय न्यायालय स्थापित किए गए इनके प्रमुख को राजू कहा जाता था। न्यायालय दो भागों में बटा था एक को धर्मस्थीय न्यायालय तथा कंटकशोधन न्यायालय।

धर्मस्थीय न्यायालय में केवल दीवानी मामलों से संवंधित सुनवाई करता था (जमीन विवाद आदि) और कंटकशोधन न्यायालय में फौजदारी (लुट-पाट आदि) मामले से संवंधित विषय पर न्यायाय करता था।

गुप्तचर व्यवस्था

राजा गुप्त सूचनाओं को प्राप्त करने के गुप्तचरों की नियुक्ति करता था। इन गुप्तचरों को गूढ़ पुरुष कहा जाता था। गुप्तचरों को भी दो भागों में विभाजित किया गया था एक संस्था और दूसरा संचार।

संस्थावैसे गुप्तचर जो एक ही स्थान पर रहकर सभी गुप्त सुचनायों को राजा को देता था

संचारवैसे गुप्तचर जो घूम-घूमकर गुप सूचनाओं को एकत्रित कर राजा को देता था।

प्रान्त

मौर्य साम्राज्य में प्रान्तों को पांच भागो में विभाजित किया गया था इन प्रान्तों के प्रमुख राजा के पुत्र होता था, जिसे राजन या कुमार कहा जाता था।

प्रान्तराजधानी
उत्तरापथतक्षशिला
अवन्ती राष्ट्रउज्जयिनी
कलिंगतोसली
दक्षिणा पथसुवर्णागिरी 
प्राशी (पूर्वी प्रान्त)पाटलिपुत्र

प्रान्तों से छोटा विषय होता था जिसके प्रमुख को विषयपति या प्रदेशिक कहा जाता था इससे नीचले स्तर पर ग्राम के छोटे-छोटे ग्रुप बनाया गया था। 10 ग्रामो के प्रमुख को गोप कहा जाता था और इससे भी छोटा ग्राम होता था जोकि मौर्य काल के प्रशासनिक व्यवस्था का सबसे छोटी इकाई था और इसके मुखिया को ग्रामिक कहा जाता था।

नगर प्रशासन (Maurya Nagar Prashasan)

मेगास्थनीज की पुरस्तक इंडिका के अनुसार मौर्य काल में नगरों के लिए अलग से प्रशासनिक व्यवस्था बनाया गया था। नगर को चलाने के लिए 6 समितियाँ बनाया गया था और प्रत्येक समिति में 5 सदस्य होता था अर्थात 30 व्यक्तियों के समूह के द्वारा नगर नगर के प्रशासन को चलाया जाता था।

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