कुतुबुद्दीन ऐबक : Kutubuddin Aibak

दिल्ली सल्तनत के संस्थापक और गुलाम वंश के प्रथम सुल्तान कुतुबुद्दीन ऐबक महमुद गोरी का गुलाम था। ऐबक गोरी के साथ सैन्य अभियानों में भाग लिया। गोरी के मृत्यु के बाद काफी संघर्षों के बाद लाहौर को राजधानी बना दिल्ली पर शासन किया।

जन्म1150 ई०, तुर्किस्तान
राज्याभिषेक25 जून 1206 ई०
वंशगुलाम वंश
पूर्वर्तीमोहम्मद गौरी
उत्तराधिकारीआराम शाह
निधन1210, लाहौर
समाधि स्थलअनारकली बाजार, लाहौर
धर्मसुन्नी मुस्लिम

कुतुबुद्दीन ऐबक

ऐबक तुर्किस्तान के निवासी था और इनके माता-पिता तुर्क थे। उस समय इस क्षेत्रों ने दासों का व्यापार प्रचलित था, जिसे व्यापारियों व सुल्तानों द्वारा ख़रीदा जाता था।

कुतुबुद्दीन ऐबक को सबसे पहले एक व्यापारी के हाथों बेचा दिया गया फिर व्यापारी ने निशापुर के काजी फरुखद्दीन अब्दुल अजीज सूफी को बेच दिया। काजी ने इसे सैन्य एवं धार्मिक प्रशिक्षण दिया। फरुखद्दीन अब्दुल अजीज के मृत्यु पश्चात् अजीज के पुत्रों ने भी ऐबक को बेच दिया और अंततः उसे महमुद गोरी खरीद लिया।

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ऐबक की क्षमताओं व स्वामिभक्ति के प्रभावित होकर मोहम्मद गोरी को अमीर-ए-अखनूर (घुड़साला का अध्यक्ष) के पद नियुक्त किया। जहाँ उसे सैन्य अभियानों ने भाग लेने का अवसर मिला।

तराईन के द्वितीय युद्ध में पृथ्वीराज चौहान को बंदी बनाने के बाद कुतुबुद्दीन ऐबक को भारतीय प्रदेशों का सूबेदार नियुक्त किया।

सैन्य अभियान

ऐबक ने कई दुर्गों जीता और विद्रोह को सफलता से दबा दिया किन्तु अजमेर के मदों में हुए तीसरे विद्रोह में ऐबक के प्राण संकट आ गया पर गोरी के कारण जीवित बच गया। कई प्रदेशों व मंदिरों में लुट-पाट किया ध्वस्त किया।

शासक बनाने की कहानी

महमूद गोरी मृत्यु से पूर्व अपने उत्तराधिकारी की नहीं किया। गोरी के पास ऐबक के अलावे यल्दौज, कुबाचा और अलीमर्दान जैसे कई गुलाम थे जो अनुभवी और योग्य भी थे। मुहमद गोरी ने ऐबक को “मलिक’ की उपाधि दी थी किन्तु सभी दासों का सरदार नियुक्त नही किया था।

अतः गोरी में मृत्यु के बाद गुलामों ने बीच संघर्ष होने लगा। ऐबक की क्षमताओं से प्रभावित होक वहां के अमीरों ने दिल्ली की गद्दी पर बैठाया।

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ऐबक ने कभी भी सुल्तान की उपाधि धारण नहीं किय क्योंकि यल्दौज, कुबाचा और अलीमर्दान जैसे गुलामों ने ऐबक को सुल्तान नहीं माना। इसी विरोध व संकट के कारण दिल्ली से दूर लाहौर को राजधानी बनाया। अतः ऐबक का पूरा जीवन विद्रोहों और युद्धों में बीत गया।

अंतिम जीवन

पूरा जीवन विद्रोहों और युद्धों में व्यतीत किया पर फिर ढाई दिन का झोपड़ा मस्जिद का निर्माण एवं कुतुबमीनार की नीब रखी हालाँकि इसे अपने जीवन काल काल में पूरा नहीं कर सका और चौगान खेलते समय घोड़े से गिर जाने के कारण लाहौर में इसकी मृत्यु हो गई।

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FAQ Section :

कुतुबुद्दीन ऐबक ने क्या क्या बनवाया था?

1206 से 1210, अपने अपने चार वर्षों के शासनकाल में इसने लहौर को राजधानी बनाया और कुतुबमीनार की नींव रखी।

कुतुबुद्दीन ऐबक कौन था भारत में गुलाम वंश की स्थापना में उसकी क्या भूमिका थी?

यह गुलाम वंश का संस्थापक था। इसने पहले लाहौर और बाद में दिल्ली को राजधानी बनाया। लाखों का दान दिए जाने के कारण इसे ‘लाख बख्श’ कहा जाता था।

कुतुबुद्दीन ऐबक लाख वक्त क्यों कहा जाता था?

बड़े पैमाने पर दान दिए जाने के कारण उसे ‘लाख बख्श’ कहा जाता था।

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