कुषाणों का संवंध यूंची/तोख़ारी नामक कबीला से था जोकि की चीन में पाया जाता था। बीच में हिमालय पर्वत आ जाने के कारण यह भी मध्य एशिया से भारत आये। यह कबीला भी पांच भागों में बटा था और उसी में से एक था कुषाण, जिसने कुषाण वंश (kushan vansh) की स्थापना की।
Kushan Vansh
कुषाण वंश के संस्थापक कुजुल कडफिसेस थे, दूसरा प्रमुख शासक विम कडफिसेस थे जोकि भारत में आने के बाद शैव धर्म को अपनाये।
कनिष्क
कुषाणों का संवंध यूंची/तोख़ारी नामक कबीला से था जोकि की चीन में पाया जाता था। यह कबीला पांच भागों में बटा था और उसी में से एक था कुषाण जो चीन और भारत के मध्य हिमालय पर्वत आ जाने के कारण मध्य एशिया के रास्ते भारत आया।
इस वंश का सबसे प्रमुख और प्रतापी शासक कनिष्क था। कनिष्क जो 78 ईस्वी में कुषाण वंश (kushan vansh) का शासक बना और पुरुषपुर यानी की आज के पेशावर को राजधानी बनया। अपने राजा बनने के उपलक्ष्य में इन्होने शक संवत् नामक कैलेण्डर चलाया जिसे वर्तमान में भारत सरकार द्वारा रास्ट्रीय कैलेण्डर के रूप में प्रयोग किया जाता है।
कनिष्क के शासन के समय रेशम मार्ग पर भारत का नियंत्रण था। इस मार्ग से होकर चीन का रेशम मध्य एशिया की ओर जाता था जिस पर कर लागाकर कुषाणों अधिक मात्रा में धन अर्जित किया। योग्य शासक और आर्थिक स्थिति थी मजबूत होने के कारण कुषाणों के क्षेत्र का विस्तार हुआ अतः मथुरा को अपनी दूसरी राजधानी बनाया।
कुषाण वंश (kushan vansh) के संस्थापक कुजुल कडफिसेस थे। दूसरा प्रमुख शासक विम कडफिसेस थे। यह भारत में आने के बाद शैव धर्म को अपनाये।
कनिष्क ने भारत में सबसे शुद्ध सोने के सिक्के जारी किए जवकि सबसे अधिक मात्रा में सोने के सिक्के गुप्त शासको ने जारी किया।
- तांबे के सिक्के सबसे अधिक कुषाण शासकों ने जारी किया।
- कनिष्क भारत में आने के बाद बौद्ध धर्म के माहायाण शाखा को स्वीकार किया।
- कनिष्क के शासनकाल में ही चौथी बौद्ध संगीति का आयोजन किया गया इसकी अध्यक्षता वसुमित्र ने किया था।
- गंधार कला और मथुरा कला का विकास कनिष्क के शासनकाल में हुआ।
- गंधार कला का सवंध बौद्ध धर्म से है और मथुरा कला का संवंध जैन धर्म से है।
- अश्वघोष, चरक, नागार्जुन, वसुमित्र, पाशर्व, महाचेत, संघरक्ष आदि कनिष्क के दरवार में रहते थे।
- 102 ईस्वी में कनिष्क की मृत्यु हो गया कुषाण वंश (kushan vansh) का अंतिम शासक वासुदेव था।
कुषाणों के दरबारी (Kushan ke Darbari)
अश्वघोष – यह कनिष्क का राजकीय कवि था इसने बुद्ध चरित्र की रचना किया जिसे बौद्धों का रामायण कहा जाता है।
चरक – यह कनिष्क का राजवैध था इसने चरक संहिता की रचना किया चरक को भारतीय चिकित्सा का जनक माना जाता है।
वसुमित्र – इसने महाविभाष सूत्र की रचना किया इसे बौद्ध धर्म का विश्वकोष कहा जाता है।
नागार्जुन – नागार्जुन ने शून्यवाद/सापेक्षता वाद के सिधांत की खोज किएँ, इन्हें भारत का आइन्स्टाइन कहा जाता है।
शुश्रुत – इसने शुश्रुत संहिता की रचना किएँ, भारत में शुश्रुत को शैल चिकित्सा का जनक माना जाता है।
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