नाईटहुड उपाधि क्या है : जाने Knighthood Award के बारे में

knighthood : किसी भी कॉमनवेल्थ और ब्रिटिश नागरिक द्वारा प्राप्त किया जा सकने वाले सर्वोच्च नागरिक सम्मान में से एक “आर्डर ऑफ ब्रिटिश अंपायर” की स्थापना 4 जून 1917 को जॉर्ज पंचम ने की थी। इस लेख में जानेंगे कि सर की उपाधि को कौन ले सकता है और भारत में लोग अपने नाम के आगे सर क्यों नहीं लगा सकते। 

नाईटहुड एवार्ड क्या है

आर्डर ऑफ़ ब्रिटिश अंपायर ब्रिटिश साम्राज्य के सर्वोच्च सम्मान में से एक है जो की एक प्रकार का आर्डर ऑफ चिवैलरी है। जिसकी स्थापना 4 जून 1917 को जॉर्ज पंचम ने की थी। इसे किसी भी कॉमनवेल्थ और ब्रिटिश नागरिक द्वारा प्राप्त किया जा सकने वाले सर्वोच्च नागरिक सम्मान में से एक है।

इस अवार्ड की दो श्रेणियां है पहला जिसमें पुरुषों के लिए नाइट ग्रैंड क्रॉस तथा महिलाओं के लिए डेम ग्रैंड क्रॉस। दूसरा टाइटल पुरुषों के लिए नाइट कमांडर और महिलाओं के लिए डेम कमांडर बनाए गए हैं।

जो व्यक्ति आर्डर ऑफ़ ब्रिटिश अंपायर या फिर नाइटहुड (knighthood) का अवार्ड प्राप्त करता है वह अपने नाम के आगे ‘सर’ शब्द तथा जिस महिला को ऑर्डर आफ ब्रिटिश अंपायर का अवार्ड दिया जाता है वह अपने नाम के आगे ‘डेम’ शब्द इस्तेमाल कर सकती है।

knighthood award किसे दिया जाता है

इस पुरस्कार को दिए जाने का कोई विशेष योग्यता निर्धारित नहीं किया गया है। यह ब्रिटिश नागरिक राष्ट्रमंडल क्षेत्र के नागरिक या फिर कोई भी ऐसे नागरिक जो यूनाइटेड किंगडम के लिए कोई महत्वपूर्ण उपलब्धि अर्जित की हो जैसे की खेल, कला, विज्ञान, धर्मार्थ और कल्याण संगठनों के साथ काम करने वाले आदि  को दिया जाता है।

कुल मिलाकर नाइट फूड अवार्ड को देने का योग्यता भारत में दिए जाने वाले पद पुरस्कारों जैसा है इसमें भी व्यक्ति के कार्यों के आधार पर दिया जाता है यह पुरस्कार ब्रिटेन की महारानी के द्वारा दिया जाता है।

भारतीय प्राप्त कर सकते हैं?

भारत के नागरिकों को भी ब्रिटिश किताबों को प्राप्त करने का अधिकार है लेकिन उससे पहले भारत सरकार से अनुमति लेनी होगी बिना पूर्व अनुमति के कोई भी भारतीय व्यक्ति विदेशी पुरस्कार नहीं प्राप्त कर सकता है।

संविधान के अनुच्छेद 18 में या प्रावधान है कि कोई भी भारतीय व्यक्ति अपने नाम के आगे पद्म भूषण, पद्म विभूषण, भारत रत्न, महाराज, नवाब, राय बहादुर, दीवान, आदि जैसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं कर सकता क्योंकि यह राज्य के समक्ष समानता के अधिकार के विरुद्ध है।

भारतीय अवार्ड प्राप्त करने के बाद भी अपने नाम के आगे ‘नाईटहुड’ या ‘सर’ शब्द नहीं लगा सकते। जैसा की वर्ष 2014 में रतन टाटा को नाइट ग्रैंड क्रॉस से सम्मानित किया गया पर फिर भी वह भारतीय नागरिक होने के कारण इस टाइटल (सर) का प्रयोग अपने नाम के आगे करते। इससे पूर्व 3 जून 1915 को रविंद्र नाथ टैगोर को भी नाइटहुड की उपाधि से सम्मानित किया गया था।

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