Gulshan Kumar : गुलशन कुमार के नाम से प्रसिद्ध गुलशन दुआ फिल्म जगत इसे जुड़े एक ऐसा नाम जिनसे हर कोई हर कोई परचित है जिन्होंने अपने मेहनत और जज्बे के दम पर एक ऐसा मुकाम हासिल किया जो काबिले तारीफ है।
नाम | गुलशन कुमार (गुलशन दुआ) |
जन्म | 5 मई 1956 |
जन्म स्थल | दिल्ली (भारत) |
प्रसिद्ध | उधोगपति, फिल्म निर्माण |
मृत्यु | 12 अगस्त 1997 |
गुलशन कुमार लोगों के नब्ज को पहचानते थे अतः लोगों को वही दिया जो लोग चाहते थे यही कारण रहा की कम समय में ही बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली। इतना ही नहीं वल्कि उन्होंने कई नए चेहरे को भी फिल्मों में मौका दिया।
Gulshan Kumar (गुलशन कुमार)
गुलशन कुमार, जिनका की मूल नाम गुलशन दुआ था का जन्म दिल्ली में हुआ वह एक पंजाबी अरोड़ा परिवार से तालुक रखते थें।
23 की उम्र में ही उन्होंने अपने परिवार के मदद से एक दुकान लिया और सस्ते ऑडियो कैसेट बेचने शुरू किया। व्यवसाय में ठीक-ठाक मुनाफा होने लगा उनके बाद तो इन्होने शुक का ही ऑडियो कैसेट बनाना शुरू कर दिया।
सफलता का पहला कदम
ऑडियो कैसेट व्यवसाय को इन्होने ‘सुपर कैसेट्स इंडस्ट्रीज’ का नाम दिया जो आगे चलकर एक बड़ा नाम बन गया। इसके बाद इन्होने एक ‘म्यूजिक प्रोडक्शन कम्पनी’ खोली।
प्रतिद्वंदियों के मुकावले कैसेट को सस्ते दरों पर बेचने लगें तथा कैसेट की गुणवत्ता बेहतर होने के कारण इनका व्यवसाय तेजी से बढ़ने लगा और फिर आगे चलकर निर्यात भी करने लगे।
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संगीत के क्षेत्र में सफलता हासिल करने के बाद अपने कदम ‘बॉलीवुड’ में रखा और मुम्बई चले गए। संगीत और फिल्म के साथ-साथ भक्ति संगीत संसार में भी अपनी पैठ बनाई और हिन्दू पौराणिक कथाओं से संबंधित फिल्मों और धारावाहिक का प्रोडक्शन करना शुरू किया।
फिल्म निर्माण
फिल्म निर्माण के क्षेत्र में उनका पहला फिल्म ‘लाल दुपट्टा मलमल’ का था जो साल 1989 ने बनी थी, प्रेम प्रसंग पर आधारित इस फिल्म एक सफल फिल्म रहा और इस फिल्म का संगीत लोगो के बीच बहुत ही लोकप्रिय हुआ।
साल 1990 में आई फिल्म ने ‘आशकी’ की सफलता ने मानों सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। इस फिल्म के मुख्य किरदार के रूप में रहे राहुल रॉय और अनु अग्रबाल ने भी इस फिल्म से लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हो गए इसके अलावे फिल्म के संगीत ने भी एक नई ऊचाईयों को छुआ।
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इसके बाद भी गुलशन कुमार ने कई फिल्मे दी जिसमे कुछ सफल तो कुछ असफल रहा किन्तु सभी फिल्मो के संगीत लोग को काफी पसंद आया।
नए चेहरों को पहचान
गुलशन कुमार संगीत और फिल्म निर्माण में अपनी पहचान बनाने के साथ-साथ और भी कई नए चेहरों को पहचान दिया जैसे – अपने भाई किशन कुमार, सोनू निगम, कुमार सानू, अनुराधा, पौडवाल, बंदना वाजपेयी शामिल है।
टी सीरीज
गुशलन कुमार की ‘सुपर कैसेट्स इंडस्ट्रीज’ भारत की सर्वोच्य संगीत कंपनी बन गई। इसी संगीत कंपनी के तहत ‘टी सीरीज’ संगीत लेबल की स्थापना की जो आज देश के सबसे बड़े संगीत और वीडियोज उत्पादक है। व्यवसाय की दृष्टि से टी सीरीज की हिस्सेदारी भारत के बाजारों में लगभग 60 प्रतिशत है।
सामाज सेवा
भारत के सफल व्यवसायों में से एक गुलशन कुमार अपने धन का एक बड़ा हिस्सा सामज के सेवा में लगते थे। कहा जाता है की वित्त वर्ष 1992-1993 में गुलशन कुमार (Gulshan Kumar) देश के शीर्ष करदाता थे।
निधन
गुलशन कुमार ने मुम्बई के माफियाओं के जबरन वसूली की मांग के आगे झुकने से साफ़ इनकार कर दिया जिस कारण 12 अगस्त 1997 को मुम्बई के अँधेरी पश्चिम उपनगर जित नगर में जितेश्वर महादेव मंदिर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई। परिवार के इच्छा के अनुसार इनका अंतिम संस्कार दिल्ली में किया गया।
पुलिस ने हत्या के योजना के लिए नदिम को अभियुक्त बनाया किन्तु 2001 अब्दुल रउफ गुलशन कुमार (Gulshan Kumar) के हत्या के बदले पैसे लेने की बात को स्वीकार किया। 29 अप्रैल 2009 को रउफ को उम्रकैद की सजा सुनाई गई।
महत्वपूर्ण घटना
- 1956 – 5 मई 1956 को दिल्ली में इनका जन्म हुआ
- 1979 – रिकॉर्ड और ऑडियो कैसेट की बिक्री के लिए दूकान लिया
- 1989 – पहली बॉलीवुड फिल्म ‘लाल दुपट्टा मलमल का’
- 1993 – ‘आजा मेरी जान’ इस फिल्म में छोटे भाई कृष्ण कुमार को मौका दिया
- 1997 – 12 अगस्त 1997 को मुम्बई में हत्या
फ़िल्में
- 1989 – लाल दुपट्टा मलमल
- 1990 – बहार आने तक
- 1990 – आशिकी
- 1991 – जीना तेरी गली में
- 1991 – आई मिलन की रात
- 1991 – दिल है की मानता नहीं
- 1992 – मीरा का मोहन
- 1992 – जीना मरना तेरे संग
- 1993 – आजा मेरी जान
- 1993 – कसम तेरी कसम
- 1995 – बेवफा सनम
- 1995 – जय माँ वैष्णो देवी
- 1998 – चार धाम (मृत्यु के बाद)
- 2000 – पापा द ग्रेट (मृत्यु के बाद)
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FAQ Section :
अबू सलेम, गुलशन कुमार से हर महीने 5 लाख रुपये देने को कहा लेकिन गुलशन ने नहीं दिए इस कारण 12 अगस्त 1997 को मुम्बई के जितेश्वर महादेव मंदिर के बाहर गोली मार कर हत्या कर दी।
एक दिन मंदिर में बिना बॉडीगार्ड के ही मंदिर में पूजा के लिए गए थे इसी दिन तीन हमलावरों में उन पर हमला किया और 16 से उनके शरीर को छल्ली कर दिया। उनके ड्राईवर ने बचाने की कोशिस की तो उसे भी गोली मार दी गई।
मुम्बई के जितेश्वर महादेव मंदिर में वह हर रोज पूजा के लिए जाया करते थें लेकिन 12 अगस्त 1997 को तीन हमलावरों ने उनपर हमला किया। घायल अवस्था में ही उन्हें अस्पताल ले जाया जा रहा था लेकिन रास्ते में ही उनकी मौत हो गई।