प्रदूषण पर निबंध (essay on Pollution)

Essay on pollution

प्रदूषण (pollution) का अर्थ है प्राकृतिक संतुलन में दोष पैदा होना। ना शुद्ध वायु मिलना, न शुद्ध जल मिलना, न शुद्ध खाद्य मिलना, न शांत वातावरण मिलना, प्रदूषण कई प्रकार का होता है। प्रमुख प्रदूषण है वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण।

वायु प्रदूषण

महानगरों में यह प्रदूषण अधिक फैला हुआ है वहां 24 घंटे कल कारखानों से कड़वा मोटर वाहनों का काला धुआं किस तरफ फैल गया है कि स्वस्थ वायु में सांस लेना दुर्लभ हो गया है। यह समस्या वहां अधिक होती है जहां सघन आबादी होती है और वृक्षों का अभाव होता है।

जल प्रदूषण

नदी नालों में मिलकर भयंकर भयंकर जल प्रदूषण पैदा करता है। बाढ़ के समय तो कारखाने का दुर्गंध जल सब नदी नालों में घुल मिल जाता है इससे अनेक बीमारियां पैदा होती है। Essay on mobile

ध्वनि प्रदूषण

मनुष्य को रहने के लिए शांत वातावरण चाहिए परंतु आजकल कल कल कारखानों का शोर, यातायात का शोर, मोटर गाड़ियों का शोर और लाउडस्पीकरों की कर्णभेदक ध्वनि ने बहरेपन और तनाव को जन्म दे दिया है।

प्रदूषण के दुष्परिणाम

उपयुक्त प्रदूषण के कारण मानव के स्वास्थ्य जीवन को खतरा पैदा हो गया है। खुली हवा में लंबे सांस लेना तक को तरस गया है। आदमी गंदे जल के कारण कई बीमारियां फसलों में चली जाती है जो मनुष्य के शरीर में पहुंचकर घातक बीमारियां पैदा करती है। पर्यावरण प्रदूषण के कारण न समय पर वर्षा आती है, ना सर्दी गर्मी का चक्र ठीक से चलता है, सूखा बाढ़ आदि प्राकृतिक प्रकोपों का कारण भी प्रदूषण है।

प्रदूषण के कारण

प्रदूषण को बढ़ाने में कल कारखाने वैज्ञानिक संसाधनों का अधिक उपयोग, फ्रिज, कूलर, ऊर्जा संयंत्र यदि दोषी है।

वृक्षों को अंधाधुंध काटने से मौसम का चक्र बिगड़ा है घनी आबादी वाले क्षेत्रों में हरियाली ना होने पर भी प्रदूषण बड़ा है।

प्रदूषण का निवारण

विभिन्न प्रकार के प्रदूषण से बचने के लिए चाहिए कि अधिकाधिक वृक्ष लगाया जाए। हरियाली की मात्रा अधिक हो, सड़कों के किनारे घने वृक्ष हो, आबादी वाले क्षेत्र खुले हो, हवलदार हो, हरियाली से उत्प्रोत हो, कल कारखानों को आबादी से दूर रखना चाहिए और उनसे निकलने वाले प्रदूषण जल को शुद्ध करने के उपाय सोचने चाहिए।

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