दीवाली हिंदुओं का महत्वपूर्ण उत्सव है यह कार्तिक मास की अमावस्या की रात्रि में मनाया जाता है। इस रात को घर-घर में दीपक जलाए जाते हैं इसलिए इसे दिवाली (diwali) कहा गया।
दीवाली पर निबंध (Essay on diwali)
रात्रि के घनघोर अंधेरे में दीपक दीवाली का जगमगाता हुआ प्रकाश अति सुंदर दृश्य की रचना करता है। दिवाली वर्षा ऋतु की समाप्ति पर मनाई जाती है धरती की कीचड़ और गंदगी समाप्त हो जाती हैं।
अतः लोग अपने घरों दुकानों की पूरी सफाई करवाते हैं ताकि सीलन कीड़े मकोड़े और अन्य रोगाणु ना शत हो जाए। दीवाली से पहले लोग रंग रोगन करवरकर अपने भावनाओं को नया कर लेते हैं दीप जलाने का भी शायद यही लक्ष्य रहा होगा कि वातावरण के सब रोगाणु नष्ट हो जाए।
diwali क्यों मनाते हैं?
दीवाली के साथ निम्नलिखित प्रसंग भी जुड़े हुए ऐसा मानता है कि इस दिन श्री रामचंद्र जी रावण का संहार करने के पश्चात वापस अयोध्या लौटे थे। उनकी खुशी में लोगों ने घी के दीपक जलाए थे भगवान महावीर ने तथा स्वामी दयानंद ने स्थिति को निवारण प्राप्त किया था। इसलिए जैन संप्रदाय तथा आर्य समाज में भी इस दिन का विशेष महत्व है। दुर्गा पूजा पर निबंध
सिखों के छठे गुरु हरगोबिंद सिंह जी भी इसी के दिन करवा से मुक्त हुए थे इसीलिए गुरुद्वारों की शोभा इस दिन दर्शनीय होती है। इस दिन भगवान कृष्ण इंद्र के क्रोध से बाजरा की जनता को बचाया था।
व्यापारियों के लिए दीवाली उत्सव शिरोमणि है व्यापारी वर्ग विशेष उत्साह से इस उत्सव को मानते हैं। इस दिन व्यापारी लोग अपनी-अपनी दुकानों का कायाकल्प तो करते ही है साथ शुभ लाभ की आकांक्षा भी करते हैं। घर-घर में लक्ष्मी का पूजन होता है। इस कारण लोग रात को अपने घर के दरवाजे खुले रखते हैं।
हलवाई और आतिशबाजी की दुकानों पर विशेष उत्साह होता है। बाजार मिठाइयों से लग जाते हैं यह एक दिन ऐसा होता है जब गरीब से अमीर तक कंगाल से राजा तक सभी मिठाइयों का स्वागत प्राप्त करते हैं। लोग आतिशबाजी छोड़कर भी अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हैं। गृहणियाँ इस दिन कोई ना कोई बर्तन खरीदना शुभ समझती है।