धर्मवीर भारती, आधुनिक हिंदी साहित्य के प्रमुख लेखक कवि नाटककार और सामाजिक विचारक थे। वे एक समय की प्रख्यात साप्ताहिक पत्रिका धर्म युग के प्रधान संपादक भी थे। डॉ धर्मवीर भारती को 1972 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
धर्मवीर भारती (dharamvir bharti biography)
उपन्यास ‘गुनाहों का देवता’ सदाबहार रचना मानी जाती है। सूरज का सातवां घोड़ा को कहानी कहने का अनुभव प्रयोग माना जाता है, जिससे श्याम बनेगा ने इसी नाम की फिल्म बनाई। अंधा युग उनके प्रसिद्ध नाटक है। इब्राहिम अलका जी, रामगोपाल बजाज, अरविंद गौड़, रतन थियम, मोहन महर्षि और कई अन्य रंगमंच निर्देशकों ने इनका मंचन किया है। धर्मवीर भारती का जन्म 25 दिसंबर 1926 को इलाहाबाद में हुआ था। महादेवी वर्मा का जीवन परिचय
हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध हस्ताक्षर धर्मवीर भारती आधुनिक हिंदी साहित्य के प्रमुख लेखक, कवि, नाटककार और सामाजिक विचारक थे। हिंदी की प्रमुख साप्ताहिक पत्रिका धर्म युग के प्रधान संपादक थे। धर्म युग का संपादन डॉक्टर धर्मवीर भारती की मुख पहचान बना लेकिन इससे पूर्व उनकी रचनाएं ‘गुनाहों का देवता’ ‘ठंडा लोहा’ ‘सूरज का सातवां घोड़ा’ इत्यादि हिंदी साहित्य में अपनी पहचान बन चुकी थी। अपने उपन्यास, कहानी, नाटक, निबंध, कविता, विधाओं में साहित्य सृजन किया।
कार्य क्षेत्र
1948 में संगम संघ का संपादक श्री इलाचंद्र जोशी में सहकारी संपादक नियुक्त हुए। 2 वर्ष वहां काम करने के बाद हिंदुस्तानी अकादमी में अध्यापक नियुक्त हुए और सन् 1960 तक कार्य किया। प्रयाग विश्वविद्यालय में अध्यापन के दौरान ‘हिंदी साहित्य कोष’ के संपादन में सहयोग दिया।
‘निकष’ पत्रिका निकाली तथा आलोचना का संपादन भी किया। इसके बाद धर्म युग में प्रधान संपादक पद पर मुंबई आ गए। 1989 में डॉक्टर भारती ने अवकाश ग्रहण किया। 1999 में युवा कहानीकार उदय प्रकाश के निर्देशन में साहित्य अकादमी दिल्ली के लिए डॉक्टर भारती पर एक वृत्त चित्र का निर्माण भी हुआ।
अध्यापक
शोधकार्य पूरा करने के बाद वहीं इलाहबाद विश्वविद्यालय में हिंदी के प्राध्यापक के रूप में नियुक्ति हो गई, देखते ही देखे बहुत लोकप्रिय अध्यापक के रूप में उनकी प्रशंसा होने लगी। इस दौरान ‘नदी प्यासी थी’ नामक एकांकी नाटक संग्रह और ‘चाँद और टूटे हुए लोग’ नाम से कहानी संग्रह छपे।
‘ठेले पर हिमालय’ नाम से ललित रचनाओं का संग्रह छापा और शोध प्रबंध सिद्ध साहित्य भी छपा। मौलिक लेखन की गति बड़ी तेजी से बढ़ रही थी साथी ही अध्ययन भी पूरी मेहनत से किया जाता रहा। उस दौरान अस्तित्वाद तथा पश्चिम के अन्य नए दर्शनों का विशद अध्ययन किया।
रिल्के की कविताओं, कामु के लेख और नाटकों ज्यौं पॉल सार्त्र की रचनाओं और कार्ल मार्क्स की दार्शनिक रचनाओं में मन बहुत डूबा। साथ ही साथ महाभारत, गीता, विनोद और लोहिया के साहित्य का गहराई से अध्ययन किया। गांधी जी को नई दृष्टि से समझने की कोशिश की। भारतीय संत और सूफी काव्य विशेष रूप से कबीर जायसी और सूर को परिपक्व मन और पैनी हो चुकी समझ के साथ पुनः और समझा।