British kanoon : ब्रिटिश काल के दौरान देश को अपनी सहूलियत के हिसाब से चलने के लिए कई कानून बनाए जिसका उद्देश्य केवल भारत के संसाधनों को लूटने और इस लूट का विरोध करने वालों को दबाना था।
ब्रिटिश कानून जो भारत में लागू है
अंग्रेजों के जमाने के कई कानून आज भी भारत में लागू है और यह व्यवस्थाएं हमारे देश में इतने भीतर तक समा गई है कि हम में से कई भारतीय आज तक नहीं जानते कि कौन सा कानून हमारे देश में आज भी लागू है।
बाएं हाथ की यातायात व्यवस्था
- यह व्यवस्था भारत में अंग्रेजों ने 1800 के दशक में शुरू की थी और यह आज भी लागू है आज भी हम लोग सड़क पर बाएं हाथ पर गाड़ियां तथा पैदल चलते हैं जबकि पूरी दुनिया में 90% देश में दाएं हाथ पर चलने की व्यवस्था है।
भारतीय पुलिस अधिनियम, 1861
- 1857 के विद्रोह के बाद अंग्रेजों ने इसे 1861 ईस्वी में बनाया था ताकि दोबारा सरकार के खिलाफ इस प्रकार के विद्रोह हो तो उसे निर्ममता से कुचलना में काम आ सके।
- अफसोस की बात यह है कि भारत के आजादी के बाद भी आज भी यह कानून देश भर में लागू है हालांकि महाराष्ट्र गुजरात केरल और दिल्ली जैसे देश के कुछ राज्यों ने अपने स्वयं के पुलिस अधिनियम पारित किए हैं लेकिन फिर भी यह भारतीय पुलिस अधिनियम 1861 से ही मेल खाती नजर आती है।
नमक उपकर अधिनियम 1953
- गांधी जी का नमक सत्याग्रह तो याद ही होगा इसकी 14 पैसे प्रति 40 किलोग्राम है और यह निजी या राज्य के स्वामित्व वाले नमक कारखाने पर लगाया जाता है
- वर्ष 2013-14 में इस घर के माध्यम से सरकार को 538 000 डॉलर प्राप्त हुए थे जो कि इस इकट्ठा करने की लागत का लगभग आधा है इस कारण से इसे 1978 में स्थापित साल्ट जांच समिति ने खत्म करने की सिफारिश की थी लेकिन अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
खाकी वर्दी
- आधिकारिक तौर पर खाकी वर्दी को चलन में लाने का श्री हैरी बर्नेट को दिया जाता है जो इसे 1847 ईस्वी में प्रचलन में लाया था और आज भी से भारतीय पुलिस की आधिकारिक वर्दी का रंग खाकर बना हुआ है।
- खाक शब्द का मतलब धूल, पृथ्वी और राख होता है। इसका अर्थ होता है कि इसे पहनने वाला अपनी सेवा के लिए खाक में मिलने को तैयार है।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872
- इसे 1872 में ब्रिटिश शासन द्वारा पारित किया गया था अधिनियम के बात करें तो यह बताता है कि कोर्ट में कौन-कौन सी चीज सबूत के तौर पर पेश की जानी है इन सभी सबूतों और गवाहों की सूची को कोर्ट के सामने पहले ही बताना पड़ता है। इसमें कुछ संशोधन तो किया गया है लेकिन आज भी कहीं ना कहीं मूल रूप में इसी अधिनियम का प्रयोग हो रहा है।
विदेशी अधिनियम, 1946
- यह अधिनियम किसी ऐसे व्यक्ति को विदेशी बताता है जो कि भारतीय नागरिक नहीं है और कोई भी व्यक्ति विदेशी है या नहीं इस बात की सिद्ध करने की जिम्मेदारी भी इस व्यक्ति की होती है।
- इस प्रकार किसी व्यक्ति को किसी दूसरे व्यक्ति को लेकर यह शक होता है कि वह विदेशी है और अवैध तरीके से भारत में रह रहा है तो 24 घंटे के अंदर उसे नजदीकी पुलिस स्टेशन में बताना होगा अन्यथा उस व्यक्ति को भी पुलिस की कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
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