बक्सर का युद्ध : Baksar Ka Yudh

प्लासी युद्ध में हार के बाद अंग्रेजों से मुकवाला करने के लिए बंगाल के नए नवाब मीर कासिम, मुग़ल सम्राट शाह आलम द्वितीय और अवध के नवाब शुजाउदौला तीनों मिलकर एक सैन्य गठबन्ध बनाया और इन्हीं तीनों की संयुक्त सेना ने 23 अक्टूबर, 1764 ई० को बिहार के बक्सर में अंग्रेजी सेना से युद्ध किया। बक्सर में हुए युद्ध के कारण ही इसे बक्सर का युद्ध (Baksar ka Yudh) कहा जाता है।

बक्सर का युद्ध (Baksar ka Yudh)

प्रारंभ में अंग्रेजों का नेतृत्व कार्नक कर रहा था किन्तु संयुक्त सेना का पक्ष मजबूत होने के कारण वह भाग गया उसके बाद हैक्टर मुनरो ने इस युद्ध में अंग्रेजी सेना का नेतृत्व किया।

युद्ध के पहले ही अंग्रेजों ने अवध की सेना के असद खां और रोहतास के सूबेदार साहुमन एवं जौनुल को रिश्वत देकर अपनी तरफ मिला लिया था। परिणाम यह हुआ की अंग्रेज इस युद्ध को भी जीत लिया और इस जीत साथ ही भारत अंग्रेजी सत्ता सर्वोच्च रूप से स्थापित हो गई।

1765 ई० में बंगाल के नवाब मीर जाफर की मृत्यु हो गई, मृत्यु उपरांत जाफर की विधवा मुन्नी बेगम के सरक्षण ने अल्प व्यस्क पुत्र न्जमुद्दौला बंगाल का नवाब बना। न्जमुद्दौला को नवाब बनाते हुए बंगाल की सुरक्षा के लिए एक अंग्रेजी सेना नियुक्त की गई जिसके खर्च के लिए बंगाल नवाब प्रतिवर्ष 5 लाख रुपये देने को तैयार हो गया।

नोट – नन्द कुमार ने वारेन हेस्टिंग्स पर मुन्नी बेगम से 3.5 लाख रुपये रिश्वत लेने का आरोप लगाया। इस आधार पर हेस्टिंग्स पर इंग्लैंड में अभियोग चलाया गया। 

बक्सर युद्ध के समय राबर्ट क्लाइव भारत का गवर्नर जनरल व वेन्सिटार्ट बंगाल का गवर्नर था। इस युद्ध में जीत के उपरांत मई 1765 को क्लाइव दूसरी बार गवर्नर जनरल बनकर भारत आया।

12 अगस्त 1765 ई० में क्लाइव और मुग़ल बादशाह शाह आलम के बीच इलाहाबाद की पहली सन्धि हुई। इस संधि के शर्ते के अनुसार –

  • बंगाल, बिहार और उड़ीसा की दीवानी कंपनी को दे दी गई।
  • कंपनी अवध नवाब से छीने गई कदा व इलाहाबाद के जिले मुग़ल बादशाह को वापस सौंप दिया।
  • मुग़ल बादशाह शाह आलम, न्जमुद्दौला बंगाल का नवाब स्वीकार।
  • बंगाल, बिहार और उड़ीसा की दीवानी के बदले कंपनी ने शाह आलम को प्रतिवर्ष 26 लाख रुपये देना स्वीकारा।

16 अगस्त 1765 ई० में क्लाइव और अवध नवाब शुजाउदौलला के बीच इलाहाबाद की दूसरी सन्धि हुई। इस संधि के शर्त के अनुसार –

  • कंपनी अवध नवाब से छीने गई कदा व इलाहाबाद के जिले मुग़ल बादशाह को वापस सौंप दिया।
  • युद्ध की क्षति पूर्ति के लिए कंपनी को दो किस्तों में 50 लाख रुपये दिए     
  • बनारस के जागीरदार बलवंत सिंह को नवाब ने उसकी जागीर लौटा दी।
  • अपने राज्यों के अंग्रेजों को कर मुक्त व्यापार की सुविधा प्रदान की।

अन्य तथ्य

  • कंपनी 53 लाख रुपये बंगाल के नवाब को देकर निजामत का अधिकार भी खरीद लिया।
  • कंपनी को शाह आलम से बंगाल की दीवानी अधिकार लेने की सलाह माणिकचन्द्र दिया था।

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