गुरु पूर्णिमा क्यों मनाया जाता है : Guru Purnima

गुरु और शिष्य परम्परा पर आधारित “गुरु पूर्णिमा” का पर्व भारतीय संस्कृति में विशेष महत्त्व रखा है। यह पर्व हर साल आषाढ़ के महीने में मनाया जाता है। इस दिन शिष्य को अपने गुरु के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है।

गुरु पूर्णिमा का महत्व

यह पर्व भारत में सदियों से मनाया जा रहा है। यह पर्व हमें यह याद दिलाता है कि गुरु हमारे जीवन में किस प्रकार से मार्गदर्शन और प्रेरणा स्रोत होते हैं। गुरु शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के ‘गु’ और ‘रु’ से हुई है। जहां ‘गु’ का अर्थ है “अंधकार” और ‘रु’ का अर्थ है “प्रकाश” से है। अर्थात जो हमारे जीवन को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं वही गुरु हैं।

ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व

गुरु पूर्णिमा के पर्व को “महर्षि वेदव्यास” की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। इस कारन इस दिन को “व्यास पूर्णिमा” के नाम से भी जाना जाता है। वेदों के संकलनकर्ता और पुराणों के रचनाकार महर्षि वेदव्यास भारतीय संस्कृति और साहित्य में विशेष स्थान रखते हैं उनकी रचनाएं आज भी हमें ज्ञान और मार्गदर्शन प्रदान करती है।

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परंपराएं

इस दिन का परिणाम प्रातः काल में स्नान कर पवित्र होने के बाद गुरु के चरण स्पर्श और आशीर्वाद लेने से होता है। शिष्य अपने गुरु के प्रति अपनी श्रद्धा और सम्मान प्रकट करते हैं उनके लिए विशेष भेंट और पुष्प अर्पित करते हैं

आधुनिक जीवन में महत्त्व

आधुनिक शिक्षा प्रणाली में शिक्षक ही हमारे गुरु होते हैं जो ना केवल हमें न केवल शैक्षिक ज्ञान प्रदान करते हैं अपितु जीवन के मूल और नैतिकता का भी शिक्षा देते हैं। गुरु हमें सही और गलत का अंतर समझते हैं और जीवन के हर मोड़ पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं।

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गुरु पूर्णिमा और समाज

यह पर्व हमें यह सिखलाता है कि हमें अपने जीवन में उन सभी व्यक्तियों का सम्मान करना चाहिए जिन्होंने हमें किसी भी रूप में शिक्षा दी है जैसे की हमारे माता-पिता शिक्षक, मित्र और कोई भी हो सकता है जिसने हमें कुछ नया सिखाया हो।

कार्यक्रम

गुरु पूर्णिमा के दिन विभिन्न विद्यालय, महाविद्यालय और शैक्षणिक संस्थानों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। विभिन्न सांस्कृतिक और शैक्षणिक गतिविधियों में भाग लेते हैं। इस दिन धार्मिक स्थलों पर भी विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है।

निष्कर्ष

गुरु पूर्णिमा का पर्व न केवल हमारे गुरु के प्रति सम्मान व्यक्त करने का दिन है बल्कि यह हमें अपने जीवन में गुरु के महत्व को समझने और उनके द्वारा दी गई शिक्षा को आत्मसात्य करने का भी अवसर प्रदान करता है।

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FAQ Section :

गुरु पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है?

भारतीय संस्कृति में गुरु पूर्णिमा का पर्व अत्यंत महत्वपूर्ण और पूजनीय पर्व है। यह पर्व हमें गुरु शिष्य परंपरा को सम्मानित करने और गुरु के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है। वर्ष 2024 में गुरु पूर्णिमा का पर्व 21 जुलाई को मनाई जाएगी।

गुरु पूर्णिमा का दूसरा नाम क्या है?

इस पर्व को “महर्षि वेदव्यास” की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। इस कारन इस दिन को “व्यास पूर्णिमा” के नाम से भी जाना जाता है। वेदों के संकलनकर्ता और पुराणों के रचनाकार महर्षि वेदव्यास भारतीय संस्कृति और साहित्य में विशेष स्थान रखते हैं उनकी रचनाएं आज भी हमें ज्ञान और मार्गदर्शन प्रदान करती है

गुरु पूर्णिमा के दिन किसकी पूजा की जाती है?

इस दिन का परिणाम प्रातः काल में स्नान कर पवित्र होने के बाद गुरु के चरण स्पर्श और आशीर्वाद लेने से होता है। शिष्य अपने गुरु के प्रति अपनी श्रद्धा और सम्मान प्रकट करते हैं उनके लिए विशेष भेंट और पुष्प अर्पित करते हैं

गुरु पूर्णिमा का वास्तिक अर्थ क्या है?

गुरु पूर्णिमा का पर्व भारत में सदियों से मनाया जा रहा है यह पर्व हमें यह याद दिलाता है कि गुरु हमारे जीवन में किस प्रकार से मार्गदर्शन और प्रेरणा स्रोत होते हैं। गुरु शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के ‘गु’ और ‘रु’ से हुई है। जहां ‘गु’ का अर्थ है “अंधकार” और ‘रु’ का अर्थ है “प्रकाश” से है। अर्थात जो हमारे जीवन को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं वही गुरु हैं।

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