राजा फिलिप 359 ईसा पूर्व में मकदुनियाँ के शासक बना और करीब 30 वर्षों बाद 329 ईसा पूर्व में फिलित की हत्या कर दिया गया अतः 20 वर्ष की आयु में सिकंदर ने मकदुनियाँ का शासक बना।
अरस्तु सिकंदर के गुरु थे जिनके आशीर्वाद से सिकंदर ने विश्व विजेता बनाने का सपना देखा और इस सपने को पूरा करने के उद्देश्य से 327 ईसा पूर्व में विश्व विजय के अभियान के लिए निकल पड़ा।
सिकंदर का आक्रमण
हिन्दुकुश पर्वत पर करने के बाद 326 ईसा पूर्व भारत में पहुँचा तो पहला सामना उसे तक्षशिला के राजा आम्भिक से हुआ। आम्भिक ने बिना युद्ध किये आत्मसमर्पण कर दिया साथ ही हर संभव सहयोग देने का बादा भी किया।
आम्भिक और चन्द्रगुप्त मौर्य दोनों तक्षशिला विश्वविद्यालय में दोनों साथ पढ़ते थे और इन दोनो की बीच हमेशा शत्रुता रहता था। वही था यह कायर किस्म का व्यक्ति था।
उसके बाद सिकंदर का सामन राजा पोरस से हुआ, अतः भीषण युद्ध हुआ जिसे हाईस्पिज का युद्ध के नाम से जाना जाता है। यह युद्ध झेलम नदी के तट पर लड़ा गया था अतः इसे झेलम का युद्ध भी कहा जाता है।
इस युद्ध ने राजा पोरस की पराजय हुआ किन्तु राजा पोरस की वीरता से खुस होकर सिकंदर ने उसके साम्राज्य को बापस लौटा दिया।
अब सिकंदर झेलम नदी से बढ़कर व्यास नदी तक पहुँच चूका था, जिसके पार मगध की सीमा प्रारंभ होता था। मगध पर उस समय अंतिम नन्द वंशी शासक घनान्द का शासन था।
सिकंदर की सेना के मन ने मगध का भय बन गया इसलिए सेना व्यास नदी को पर करने से इनकार कर दिया अतः जीते हुए क्षेत्रों को सेनापति सेल्यूकस निकेटर को सौपकर 325 पूर्व में सिकंदर मक्दुनियाँ वापस लौट गया।
लौटने समय सिकंदर ने अपनी सेना को दो भागों में बाट दिया, एक भाग सिकंदर के नेतृत्व में स्थल मार्ग से तथा दुसरे भाग जल सेनापति निर्यकास के नेतृत्व में जल मार्ग से ले गया।
भारत के लौटने के क्रम में ही 323 ईसा पूर्व में 33 वर्ष की आयु में बेबीलोन में सिकंदर की मृत्यु हो गया और उसका विश्व विजय का सपना अधुरा ही रह गया।
सिकंदर के विश्व विजय के सपने को पूरा करने के लिए सेनापति सेनापति सेल्यूकस निकेटर अपनी सेना के साथ पुनः भारत की ओर रुख किया।
इस समय मगध पर चन्द्रगुप्त मौर्य का शासन था और दोनों के मध्य 305 ईसा पूर्व में युद्ध हुआ जिसका वर्णन एम्पियानस में किया गया है इस युद्ध में सेनापति सेल्यूकस निकेटर की हार हो गया।
चन्द्रगुप्त मौर्य के इस जीत के साथ ही मगध की सीमा व्यास नदी को पार कर गया और आगे चलकर अखण्ड भारत अर्थात भारत का एकीकरण हुआ जोकि चाणक्य का स्वप्न था।
सेनापति सेल्यूकस निकेटर युद्ध के शर्तों के अनुसार काबुल, कंधार, हेरात और मकरान चन्द्रगुप्त मौर्य को सौप दिया और अपनी पुत्री कार्नेलिया का विवाह चन्द्रगुप्त मौर्य से कर दिया।
प्लूटार्क के अनुसार चन्द्रगुप्त मौर्य सेल्यूकस निकेटर को 500 हाथी उपहार के रूप में दिया था।
प्रभाव
- सिकंदर ने भारत में निकैया और बहुकेफला नामक दो नगर को बसाया।
- बहुकेफला उसके घोड़े का नाम था और इसी के नाम पर झेलम नदी के तट पर बहुकेफला नामक नगर वसाया।
- इसके अलावे भारत के बाहर भी एक नगर बसाया था जिसे सिकंदरिया के नाम से जाना जाता था।
- भारत में एक नए कला गंधार कला विकास हुआ जिसमे यूनानी प्रभाव देखने को मिलाता है।
नोट – इन सब की जनकारी मुख्य रूप से यूनानी लेखकों द्वारा लिखे गए पुस्तक से प्राप्त होता है।
Read More :
- Magadh ka Uday (मगध का उदय)
- Haryak vansh (हर्यक वंश)
- Shishunag vansh (शिशुनाग वंश)
- Nand vansh (नन्द वंश)
- Maurya vansh (मौर्य वंश)
- Maurya vansh ka patan (मौर्य वंश का पतन)
- Brahman Samrajya ka Uday (ब्राह्मण साम्राज्य का उदय)
- Satvahan vansh (सातवाहन वंश)
- Vakataka vansh (वाकटक वंश)
- Vardhan vansh (वर्द्धन वंश)
- Shung vansh (शुंग वंश)
- Gupt vansh (गुप्त वंश)
- Sangam Sahitya (संगम साहित्य)
- Plasi ka Yudh (प्लासी का युद्ध)
- Baksar ka Yudh (बक्सर का युद्ध)