विजय सिंह पथिक का जन्म 27 फरवरी 1882 को उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के गुतावली नामक गांव में एक प्रतिष्ठित गुर्जर परिवार में हुआ इनका मूल नाम भूपन सिंह था।
इनके दादा इंद्र सिंह मलागढ़ रियासत में दीवाना रहे जो 1857 के क्रांति के समय अंग्रेजों से लड़ते हुए शहीद हुए ।
इनके पिता हम्मीर सिंह भी क्रांतिकारी विचारों के कारण जेल में रहे, पिता हम्मीर सिंह के अकाल मृत्यु के कारण विजय सिंह पथिक जी का बचपन कठिनायों से गुजरा ।
थोड़े समय बाद इनके माता का भी निधन हो गया, इस कारण इनका बचपन अपने बहनोई अमर सिंह के पास इंदौर में गुजरा| यह विधिवत रूप से शिक्षा ग्रहण नहीं कर सके किन्तु हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, उर्दू, अरबी, फारसी, मराठी, गुजराती और बंगाली का अच्छा ज्ञान था।
विजय सिंह पथिक
1910 से 1911 में रास बिहारी बोस एवं सचिंद्र सान्याल के संपर्क में आए। 21 फरवरी 1915 की शास्त्र क्रांति का दायित्व विजय सिंह पथिक पर ही था। गोपाल सिंह खरवा इस कार्य में उनका सहयोग कर रहे थे किन्तु करतार सिंह के विश्वास घात के कारण यह योजना क्रांति सफल नहीं हो सका।
इनके बाद उन्हें राम खरबा के साथ डॉटगढ़ में नजर बंद कर रखा गया, इस समय उन पर लाहौर षड्यंत्र में शामिल होने का भी आरोप लगा इनटू समय रहते ही इस बाद बात का उन्हें पता चल चल गया इस कारण वह डॉटगढ़ से भागने में सफल रहें। विजय पथिक के छद्म नाम भूपसिंह अपना समय चित्तौड़गढ़ जिले के गुरला एवं ओछड़ी गांव में व्यतीत किया ।
आगे चलकर 1916 में बिजोलिया किसान आंदोलन से जुड़े 1917 में इन्होंने ऊपरमाला पंचायत की स्थापना करवाई। इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए इन्होंने प्रकाशित प्रताप जैसे अखबार का भी सहयोग किया। इन्हीं के प्रयासों से बिजोलिया आंदोलन अखिल भारतीय स्वरूप का हो गया।
पथिक ने 1918 में दिल्ली में जमुना लाल बजाज एवं केसरी सिंह भारत के सहयोग से राजपूताना मध्य भारत सभा की स्थापना की, इसका मुख्यालय कानपुर रखा गया। 1919 में अमृतसर में राजपूताना मध्य भारत सभा का दूसरा तथा 1920 में अजमेर में राजपूताना मध्य भारत सभा तीसरा अधिवेशन आयोजित किया गया था।
1919 में इन्होंने वर्धा में राजस्थान सेवा संघ की स्थापना की, वे जमनालाल बजाज के सहयोगी बने रहे। 1920 में राजस्थान सेवा संघ का कार्यालय अजमेर स्थानांतरित कर दिया गया। राजस्थान सेवा संघ ने अजमेर से ‘नवीन राजस्थान’ नामक अखबार प्रकाशित किया।
वे एक सफल पत्रकार भी थे उन्होंने वर्धा से ‘राजस्थान केसरी’ अखबार निकाला। वे नवीन राजस्थान एवं तरुण राजस्थान के संपादक भी रहें। उन्होंने ‘राजस्थान संदर्भ’ एवं ‘व्हाट आर द इंडियन स्टेट्स’ लिखा। वे अधेड़ उम्र में एक विधवा अध्यापिका से विवाह किया।
1923 में बेंगु किसान आंदोलन में भी इन्होंने नेतृत्व प्रदान किया, देश की आजादी के पश्चात सामाजिक एवं रचनात्मक कार्य करने लगे।
मृत्यु
28 मई 1954 को लू लगने के कारण अचानक पथिक जी का निधन हो गया। गांधी जी ने पथिक जी के संदर्भ में कहा अधिकांश लोगों कार्य की योजना बनाते रहे किंतु पथिक एक सिपाही के हमेशा सामान कार्य में जुटे रहें। रह जाता था।