भारत में सभी ऋतुओं का दर्शन और अनुभव होता है, ऋतुराज वसंत की बात ही अलग है। वसंत ऋतु के विषय में विद्वानों का कहना है वसंत आता नहीं लाया जाता है। यहां वसंत से तात्पर्य मुस्कुराहट, यौवन मस्ती आदि से है। कहने का तात्पर्य है कि इस ऋतु में मानव, पशु-पक्षी, वनस्पति, सभी प्रफुल्ल रहतें हैं।
वसंत ऋतु पर निबंध
यह ऋतु अपनी विशेषताओं के कारण सभी का प्यार ऋतु है। फाल्गुन से बैसाख तक यह ऋतु अपने स्वाभाविक गुणों से सभी को आनंदित करता है। यह ऋतु अंग्रेजी महीने के मार्च एवं अप्रैल में होती है। वसंत पंचमी का त्यौहार तो इसी के नाम पर है लेकिन यह पहले ही संपन्न हो जाता है। होली के त्यौहार इसी में आता है।
वसंत ऋतु में ना अत्यधिक ठंड होती है और ना ही अधिक गर्मी। इस ऋतु में प्राय: आकाश साफ रहता है। इसमें दिन बड़ा होता है और रात छोटी। दुर्गा पूजा पर निबंध
वन-उपवन में चारों ओर नई-नई कोपलें ही दिखाई पड़ती है। वृक्ष पौधे यदि सभी एक दूसरे को प्रफुलित करते रहते हैं। नए-नए फुल चारों ओर दिखाई पड़ते हैं उनके मधुर रस का पान करके भौरे, तितलियाँ आदि सभी मतवाले होकर इधर-उधर घूमते रहते हैं। आम्रमंजरियाँ भी अपनी गंध से सभी को मादक बना देती है।
इस ऋतु में ही कोयल की आवाज गूँजती रहती है। उन पर नए-नए फूल और फल वातावरण को और सुंदर बना देती है नाना प्रकार के फल मिलते हैं। जिनको खाकर मनुष्य नई चेतन को प्राप्त करते हैं। उनका शरीर पर खिल उठता है।
सभी प्राणी और वनस्पति आनंद के सागर में हिलोरें लेनी लगती है। ठंड से राहत मिलती है। सभी जल और जलाशय का आनंद लेने के लिए मचल उठाते हैं। होली का त्यौहार भी यह प्रदर्शित करता है की ठंडक चली गई है और स्नान से घबराना नहीं है। इस ऋतु में ही रबी की फसल कटती है जो मानव जीवन का आधार है।
वसंत ऋतु में प्राय भ्रमण का अलग ही महत्व होता है। वसंत ऋतु में चारों ओर मनमोहन वातावरण में सैर करने से शरीर के साथ-साथ मन भी प्रसन्न होता है। इस ऋतु को स्वास्थ्यवर्धक ऋतु मानी गई है। इस ऋतु में नियमपूर्वक रहने से रोग इत्यादि दूर रहती हैं। यह ऋतु छात्रों के लिए भी उपयोगी है क्योंकि वातावरण स्वच्छ होने से पढ़ाई भी भरपूर होती है।
अंत में यह कह सकते हैं कि विद्वानों का यह कथन की वसंत आता नहीं लाया जाता है सही होते हुए भी वसंत ऋतु, एक अलग रूप प्रस्तुत करता है अर्थात इस ऋतु की इतनी विशेषताएं हैं कि आनंद, मस्ती, प्रफुल्लित मन, सुंदर और स्वच्छ वातावरण ही वसंत का पर्याय हो जाता है।