बहमनी प्रशासन : Bahmani Prashasan

बहमनी साम्राज्य चार प्रान्तों में विभाजित हुआ करता था, जिसे बेहतर शासन प्रशासन के चलाया जाता था। साम्राज्य के प्रान्त को “तरफ” कहा जाता और इसके सूबेदार को “तरफदार” कहा जाता था।

बहमनी प्रशासन

प्रान्तों का विभाजन सरकार, सरकार का विभाजन परगना तथा परगना का विभाजन ग्रामों में हुआ करता था।

सुल्तान की सहयता के लिए 8 मंत्री हुआ करता था –

  • प्रधानमंत्री      –        वकील-उस- सल्तनत
  • वित्तमंत्री        –        अमीर-ए-जुमला
  • उपवित्तमंत्री    –        नाजिर
  • विदेश मंत्री     –        वजीर-ए-अशरफ
  • न्यायधीश एवं धार्मिक कार्य – सद्र-ए-जाहर
  • सेनापति        –        अमीर-उल-उमरा

अमीर-ए-उमरा (सेनापति) के नीचे बारबरदान हुआ करता था जो आवश्यकता के समय सेनाओं को इकठ्ठा करने का काम करता था।

“पेशवा” वजीर ए कुल और प्रधानमंत्री के कार्यालय से संबंधित होता था।

बहमनी की मुद्रा “हूण” थी।

“सैफुद्दीन गोरी” पांच बहमनी शासकों के काल में मंत्री रहा वहीँ “महमूद गवां” तीन शासकों के कार्यकाल में मंत्री के पद पर रहा।

महमूद शाह तृतीय के शासनकाल में प्रधानमंत्री रहे “कासिम बरिद” के हाथों में ही बहमनी साम्राज्य का शासन प्रशासन था, महमूद शाह तृतीय और उसके उत्तराधिकारी मात्र कठपुतली रह गया।

बहमनी वंश का अंतिम सुल्तान “कलीमुल्ला शाह” था। 1527 में इसके मृत्यु के साथ ही बहमनी साम्राज्य का पतन हो गया और इसके स्थान पर पांच नए राज्यों बीजापुर, अहमदनगर, बरार, गोलकुंडा और बीदर का उदय हुआ।

बरार

सबसे पहले बहमनी साम्राज्य से बरार 1448 ई० में फतहउल्ला इमादशाह के नेतृत्व में अलग हुआ “इमादशाही वंश” की स्थापना की। लेकिन बरार को वास्तविक रूप से स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता 1490 ई० को मिला।

बीजापुर

यहाँ (बीजापुर) के सुवेदार रहे “युफुफ़ खां ने 1489-90 ई० में स्वतंत्रता की घोषणा कर “आदिलशाही वंश” की स्थापना की।

अहमदनगर

यह 1490 ई० में मलिक अहमद के नेतृत्व में अलग हुआ। “मलिक अहमद” ने निजामशाही वंश की स्थपाना किया।

गोलकुंडा

बहमनी साम्राज्य से अलग होने के बाद गोलकुंडा पर 1512 ई० में “कुलीशाह” ने “कुतुबशाही वंश” की स्थापना किया।

बीदर

“दक्कन का लोमड़ी” कहे जाने वाले अमीर अली बरीद ने 1527 ई० में बीदर में स्वंतत्र “बरीदशाही वंश” की स्थापना किया।

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