बड़े बुजुर्गों की कहावत (टॉप – 50 कहावत)

बड़े बुजुर्गों की टॉप – 50 कहावत जो अक्सर सुनने को मिलता है लेकिन इन कहावतों का अर्थ समझना कठिन होता है। इस लेख में जानेंगे अक्सर सुनने जाने वाले टॉप 50 कहावत और उन कहावत के अर्थों को।

बड़े बुजुर्गों की कहावत

घर आए नाग न पूजे, बामी पूजन जाय : अवसर का लाभ न उठाकर उसकी तलाश में परेशान रहना

दस की लाठी एक जाने का बोझ : सहयोग से कार्य आसानी से हो जाता है

किसी की आई मुझको आ जाए : दुसरे की बला अपने उपर लेने को तैयार होना

दुसरे की पत्तल लम्बा लम्बा भात : पराई वस्तु सदा अच्छी लगती है

आधा तीतर आधा बटेर : अनमेल मिश्रण

विवेकानंद का जीवन परिचय

आप डूबे तो जग डूबा : बुरा आदमी सबको बुरा कहता है

इमली के पात पर बारात का डेरा : असंभव बात

कनक धतूरे सों कहत, गहनों गढ़ों न जात : नाम के आकर्षण होने काम नहीं चलता

कौआ भी हाड़ न ले जाएगा : दूर रहने वालों की कोई खबर भी नहीं लेता

नंगे खड़े मैदान में चोर बलैया लेय : जिसकी क्षति होने का भय नहीं है, उसकी रक्षा करना व्यर्थ है

चोर के पैर नहीं होते : अपराधी स्वयं भयभीत रहता अहि

नाइ की बारात में सब ठाकुर : स्वय को सबसे बड़ा मानने वाले लोगों का समूह

निबल की जोरू सबकी भोजाई : कमजोर को सब दबादे थाई

पिया चाहे सो सुहागिन : चाहने वाले की इच्छा सर्वोपरि है

रपट पड़े की हर गंगा : विवश होकर कोई काम करना

हीरे की परख जौहरी जाने : गुणवान ही गुणों की पहचान करता है

बाँह गहे की लाज : शरण में आने वाले की रक्षा

चाँदी देखे चाँदना, सुख देखे व्यवहार : धनाढ्य के सभी सगे होते हैं

तेल देखो तेल की धार देखो : समय का रूप देखना

अपना रख, प्राया चख : अपनी वस्तु की रक्षा, दुरे की वस्तु को उपभोग

कूद-कूद मछली बगुले को खाए : विपरीत कार्य होना

काया काबुल में गधे नहीं होते? : अच्छे स्थान पर बुरे लोग भी होते हैं

घी की लड्डू टेढ़ा भला : काम की वस्तु कुरूप होने पर भी ठीक समझी जाती है

भुस में आग लगाकर जमालों दूर खड़ी : कलह का बीज बोकर तटस्थ रहना

मियाँजी की दाढ़ी ताबीजों में गई : किसी वस्तु का दुसरो को देखने में समाप्त हो जाना

अटका बनिया देय उधार : अपनी गरज पर दबना पड़ता है

आग खाना अंगार निकालना : बुरी सांगत बुरा कर्म

घड़ी में घर जले अढाई घड़ी मुद्रा : सांकल को ताने की अपेक्षा सूझ-बुझ से उसे दूर करो

चोर-चोर मौसेरे भाई : एक पेशे वाले आपस में नाता जोड़ लेते हैं

सौ दिन चोर का एक दिन साहू का : कई बार अपराध कर बचने वाले को एक बार पकड़े जाने पर ही पूरा दण्ड मिलना

बन्दर की आशनाई घर में आग लगाईं : मुर्ख से मित्रता हानिकारक है

शक्करखोरे को शक्कर पूँजी को टक्कर : योग्यता के अनुसार वस्तु प्राप्त होना

आँख के अंधे नाम नयनसुख : गुण के विपरीत नाम

अंधों में काना राजा : अयोग्य व्यक्ति के बीच कम योग्य व्यक्ति भी आदर पता है

घर में नहीं दान बीबी चली भुनाने : सामर्थ्य के बार काम करना

उल्टा चोर कोतवाल को डांटे : स्वयं दोषी होकर निर्दोष को दोषी ठहराना

नौ की लकड़ी नब्बे खर्च : मूल्य से अधिक वस्तु की देख-रेख में व्यय

यह मुँह और मसूर की दाल : योग्यता ससे अधिक प्राप्त करने की इच्छा

लेना एक न देना दो : किसी से कोई मतलब नहीं

राम की माया कहीं धुप कहीं छाया : इश्वर की इच्छानुसार सुख-दुःख सर्वत्र है

वक्त पर गधे को बाप बनाना पड़ता है : अपने मतलब के लिए छोटे आदमी की खुशामद करना

वहीँ ढाक के तीन पात : स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं

सस्ता रोए बार-बार महँगा रोए एक बार : सस्ती वस्तु खरीद का प्रतिदिन प्रेषण होना पड़ता है

सेवा करे सो मेवा पावै : सेवा का फल सदा अच्छा होता है

हमारी विल्ली और हम्हीं को म्याऊं : जिस पर आश्रित होना उसी पर रोब जमाना

पत्थर पर दुब ज़माना : असम्भव को संभव करने की चेष्टा करना

रंग में भंग होना : आनंद में विध्न पड़ना

सूर्य को दीपक दिखाना : अत्यधिक प्रसिद्द व्यक्ति की प्रशंसा करना

घर में बीबी झोंके झाड़ू, बाहर मियाँ सूबेदार : झूठी शान जाताना

देहरी लाँघते पाप लगना : अती शीघ्र बदनामी होना

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