चाणक्य, चंद्रगुप्त मौर्य के शासनकाल में उनके मंत्रिमंडल में महामंत्री थे। इनका जन्म एक गरीब ब्राहमण परिवार में हुआ था। इनकी शिक्षा, महान शिक्षा केंद्र तक्षशिला में हुई। 26 वर्ष की आयु में इन्होंने अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र और राजनीति विषयों में गहरी शिक्षा प्राप्त की।
चाणक्य नीति
इन्होने राजा चंद्रगुप्त मौर्य को एक अखंड राष्ट्र बनाने में मदद की। मौर्य वंश को स्थापित करने का श्रेय चाणक्य को ही जाता है। चाणक्य की कूटनीति को सब मानते थे इसलिए इन्हें कूटनीति का जनक भी माना जाता है।
प्रतिज्ञा
एक बार की बात है,जब मगध के नन्द वंशी शासक घनानंद ने भरी दरबार में इनका अपमान किया, तब से ही उन्होंने नंद वंश को मिटाने की प्रतिज्ञा ली। बाद में चाणक्य ने ऐसा ही किया मगध से नन्द वंश को पूरी तरह से नाश कर मगध पर मौर्य वंश की स्थापित किया और चंद्रगुप्त मौर्य को मगध का शासक बनाकर अपनी प्रतिज्ञा पूरी की। इसलिए राजा चंद्रगुप्त मौर्य ने इन्हें महामंत्री का दर्जा दिया।
जन्म
हालांकि इनके जीवन के विषय में इतिहास में बहुत ही कम जानकारियां हैं। इनके जन्म और मृत्यु के संबंध में भारत के कुछ विद्वानों की राय अलग-अलग है। कुछ लोग इनका जन्म पंजाब के ‘चणक’ क्षेत्र को मानते हैं तो कुछ विद्वान दक्षिण भारत को मानते हैं वहीँ कुछ लोगों की राय में इनका जन्म केरल में हुआ था।
बौद्ध धर्म के अनुयाई इनका जन्म तक्षशिला को मानते हैं, कुछ विद्वानों के मजबूती राय भी मिली है कि इनका जन्म तक्षशिला में रहा होगा पर इतिहास में अभी तक भी स्पस्ट जानकारी नहीं मिलती की इनका जन्म कहाँ हुआ था|
बचपन
पर इतिहास में एक बात सत्य मिलती है कि इनका जन्म और बचपन काफी ग़रीबी में बीता चाणक्य बचपन से एक क्रोधी और हठी इंसान थे। शायद इसकी क्रोध और हठ के कारन ही नन्द वंश का विनाश हुआ।
यह प्रप्रम्भ से ही साधारण रहे हैं, कहा जाता है कि भारतवर्ष के सबसे बड़े साम्राज्य, मौर्य साम्राज्य में महामंत्री का पद और राजसी ठाठ वाट होते हुए भी इन्होंने मोह माया का फायदा नहीं उठाया क्योंकि इन्हें धन, यश, मोह आदि का कोई लोभ नहीं था।
नाम
चाणक्य को कौटिल्य तथा विष्णु गुप्त के नाम से भी जाना जाता है हालाँकि इनके नाम को लेकर भी इतिहास में ज्यादा प्रमाण तो नहीं मिलता लेकिन कुछ विद्वान उनके पीछे भी अपनी राय रखते हैं।
इतिहासकारों व विद्वानों का मानना हैं कि चाणक्य का गोत्र, कुटल गोत्र होने के कारण इनका नाम कौटिल्य पड़ा।
कुछ लोगों ने सीधी राय रखी है इनका तर्क ही की इनके पिता का नाम चणक था अतः इनके पुत्र होने के कारण इन्हें चाणक्य कहा गया।
वहीँ कुछ विद्वान मानते हैं कि इनके पिता ने बचपन में इनका नाम विष्णु गुप्त रखा था जो बाद में चाणक्य और कौटिल्य कहलाए।
भारत में आज भी चाणक्य को, चाणक्य, कौटिल्य या विष्णु गुप्त के नाम से ही जाना जाता है।